सरकारी टीम ने हटाया डिंगापुर में अवैध निर्माण
कोरबा 29 दिसंबर। प्रशासन की टीम ने यहां के डिंगापुर इलाके में सरकारी जमीन को हथियाने के लिए की जा रही कोशिश नाकाम कर दी। जानकारी के अनुसार सामुदायिक भवन निर्माण की आड़ में आसपास की काफी जमीन दबाने उसकी प्लैनिंग पर काम किया जा रहा था। सूचना मिलने पर यहां अमला पहुंचा और कार्रवाई को अंजाम दिया। कार्रवाई से नाराज लोगों ने आने वाले दिनों में प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
रिसदी वार्ड के अंतर्गत आने वाले इस इलाके में गुरुवार को यह कार्रवाई की गई। बताया गया कि कार्रवाई के दौरान प्रशासन और नगर निगम से संबंधित अमला यहां मौजूद रहा। आसपास के लोगों ने यहां पर किए जा रहे अवैध निर्माण पर आपत्ति जताई थी और उच्च अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया था। जानकारी में यह बात लाई गई थी कि कथित सामुदायिक भवन की आड़ में आसपास की जमीन को हड़पने के लिए काम किया जा रहा है। इलाके में जमीन की मांग बढ़ रही है और दूसरे भी कारण हैं इस लिहाज से जमीन पर नजर बनी हुई है। मामला गंभीर था इसलिए अधिकारियों ने इस पर तत्काल संज्ञान लिया और टीम को कार्रवाई के लिए भेजा। मौके की नाप जोख के साथ यहां पर अतिक्रमण किए जाने की शिकायत सच साबित हुई और तुरंत जरूरी कार्रवाई की गई। इस दौरान अतिक्रमण करने वालों ने तर्क दिया कि पिछले वर्षों में महापौर के द्वारा यहां सामुदायिक भवन के लिए घोषणा की गई थी और। इसलिए यह काम होना चाहिए। जबकि वर्तमान में ऐसा कुछ है ही नहीं। मामले में एतराज जताने वाले लोग बताते हैं कि जो चीज है ही नहीं उसकी आड़ में सरकारी जमीन को कब्जाने के लिए उत्साह दिखाया जा रहा है। इस तरह की कोशिशों को ना तो पूरा होने देंगे और ना ही स्वीकार किया जाएगा। बेजा कब्जा से जुड़े मामले में यहां हुई कार्रवाई से लोग खुश बताए जा रहे हैं।
बेजा कब्जा की आई बाढ़ कोरबा नगर में हसदेव सड़क सेतु से राताखार की तरफ जाने वाले बाईपास मैं नदी के किनारे बेजा कब्जा की बढ़ आई हुई हैं। कुछ दिन पहले निगम ने 12 मामलों में सामान्य कार्रवाई की थी और अतिक्रमण को पूरी तरह नहीं हटाया था इसलिए संबंधित लोगों के द्वारा टीना टप्पर और कटे.फटे टायर को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। बाल्को नगर क्षेत्र में राम मंदिर के पास अवैध निर्माण को लेकर लोगों के एतराज पर स्थानीय पुलिस ने 1 दिन पहले यहां का जायजा लिया। माना जा रहा है कि चुनावी सीजन नजदीक आने के साथ.साथ इस प्रकार के मामले बढ़ेंगे। तर्क दिया जा रहा है कि वोट बैंक की राजनीति के कारण ऐसे मामलों का विरोध शायद ही कोई राजनीतिक दल करें।