छात्रों ने भुपेश सरकार को दिया झटका.. तुगलकी आदेश को हाईकोर्ट ने किया दरकिनार

बिलासपुर। प्रदेश की भूपेश सरकार को बिलासपुर के शासकीय ई राघवेंद्र राव साइंस कॉलेज के छात्रों द्वारा जोर का झटका दिया गया है। भूपेश सरकार के साइंस कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम में बदलने के तुगलकी फरमान को चुनौती देते हुए छात्रों द्वारा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में पिटीशन दाखिल की गई थी जिसमें फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने छात्रों के हक में कॉलेज में अंग्रेजी व हिंदी माध्यम दोनों से पढ़ाई जारी रखने के आदेश दिए हैं।

बता दें कि राज्य सरकार ने प्रदेश के जिन 10 कॉलेजों को अंग्रेजी माध्यम बनाने का फैसला लिया है, उसमें बिलासपुर का एकमात्र साइंस कॉलेज भी शामिल है। संभाग ही नहीं प्रदेश भर में अपनी अलग पहचान बनाने वाले इस कॉलेज में एडमिशन के लिए मारामारी की स्थिति रहती है। ऐसे में एडमिशन होने के बाद इसे अंग्रेजी माध्यम बनाने का स्टूडेंट्स विरोध कर रहे थे, जिन्हें उच्च न्यायालय से राहत मिल गयी है।

महाविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं द्वारा शुरू से ही साइंस कॉलेज को इंग्लिश मीडियम बनाने का लगातार विरोध किया जा रहा था। इस बीच अपने राजनीतिक हुक्मरानों को खुश करने के लिए कॉलेज प्रशासन के द्वारा छात्र छात्राओं पर जबरन दबाव बनाते हुए उनसे अंग्रेजी में पढ़ाई करने की सहमति देने, नही तो दूसरे कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए फॉर्म भराया जा रहा था। जिसके पश्चात आर्या पैनल अध्यक्ष अंकित राज लहरे के नेतृत्व व आर्या पैनल संयोजक एवं भाजपा आरटीआई सेल के प्रदेश कार्यलय सह प्रभारी पेशीराम जायसवाल के मार्गदर्शन आन्दोलन चला जिसमे एबीवीपी ने भी अपनी सहभागिता दी।

सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए छात्रों ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल किया था, जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने छात्रों के पक्ष में फैसला देते हुए कॉलेज में हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यम में पढ़ाई पूर्व की भांति होने आदेश दिया है। जैसे ही आदेश की जानकारी छात्र-छात्राओं को लगी, स्टूडेंट्स फूले नहीं समाए व जश्न मनाना शुरू कर दिया।

कॉलेज में एडमिशन होने के बाद पढ़ाई का माध्यम बदल जाने से स्टूडेंट्स दुविधा में पड़ गए थे, जिसकी वजह से उन्हें आंदोलन और विरोध का रास्ता चुनना पड़ था । उन्होंने बताया कि साइंस कॉलेज में इसलिए एडमिशन लिया है कि यहां कि पढ़ाई बेहतर है। लेकिन, कॉलेज को अंग्रेजी माध्यम बनाने के साथ ही उन्हें कॉलेज छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा था।लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें राहत दी है।

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