विवादास्पद सीईओ को हटाने प्रदेश के सचिव होंगे लामबंद

कोरबा 21 जुलाई। जिले के कटघोरा जनपद पंचायत में छठवीं बार पदस्थ किए गए विवादास्पद मुख्य कार्यपालन अधिकारी एचएन खोटेल के विरुद्ध आंदोलन अब जिला और राज्य स्तर पर होने वाला है। सचिव संघ ने इसका ऐलान कर दिया है। शासन-प्रशासन को अल्टीमेटम दिया गया है कि यदि 24 जुलाई तक खोटेल को नहीं हटाया गया तो 25 जुलाई से सिर्फ कटघोरा जनपद ही नहीं बल्कि पूरे जिले और राज्य भर के सचिव काम बंद कलम बंद हड़ताल पर चले जाएंगे। सचिवों के हड़ताल पर चले जाने से राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरवा घुरवा बाड़ी, गौधन न्याय योजना, मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान सहित अन्य तमाम कल्याणकारी योजनाओं पर भी असर पड़ेगा।

सचिव संघ के प्रदेश अध्यक्ष तुलसी साहू ने इस आशय की सूचना प्रशासन को दे दी है। देखना यह है कि श्री खोटेल जो कि अपनी पदस्थापना के बाद से ही विवादों और सुर्खियों में रहे हैं और जिनका विरोध करतला जनपद पंचायत में जाने के बाद भी वहां के विधायक ननकीराम कंवर से लेकर सरपंचों,पंचों सचिवों ने किया, उससे भी अनेक सवाल उठते हैं। सवाल जायज है कि आखिर तमाम विरोध के बाद भी खोटेल को जनपद की जिम्मेदारी बार-बार क्यों सौंपी जा रही है? क्या उनके अलावा दूसरा कोई अधिकारी नहीं है जिसे जनपद का सीईओ पदस्थ किया जा सके? वैसे भी सीईओ बने रहने के लिए श्री खोटेल के द्वारा साम-दाम दंड-भेद की नीति भी अप्रत्यक्ष तरीके से अपनाई जा रही है जिसका उदाहरण पिछले दिनों सामने आया जब कुछ सरपंचों ने उनके समर्थन में कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जबकि इससे पहले के सचिवों के आंदोलन में सरपंचों से लेकर जनपद सदस्यों ने सीईओ को हटाने की मांग संयुक्त रूप से की थी। हालातों के बदलने के साथ ही निष्ठा भी बदलती जाती है जो किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। एक अधिकारी का मानना है कि किसी अधिकारी का इतना विरोध और बार-बार विरोध होता हो तो उसे खुद ही मिलने वाले विवादित पद का त्याग कर अपने मूल पद स्थापना में रहने का आग्रह भी प्रशासन से कर देना चाहिए। बताया जा रहा है कि इस बार वे कोर्ट के आदेश उपरांत कटघोरा में पदस्थ हुए हैं लेकिन आखिर ऐसा क्या है कि श्री खोटेल सीईओ बनने के लिए लालायित रहते हैं और विवादों में घिरे रहने के बाद भी इससे दूर होने का प्रयास नहीं करते।

Spread the word