कोरबा 29 जून। बैंक के खाता धारकों और डिजिटल पेमेंट के विकल्पों पर काम करने वाले लोगों के साथ कई मौकों पर ठगी की घटनाएं हो रही है। जागरूकता संबंधी प्रयासों के बाद भी इनमें बहुत ज्यादा कमी नहीं आ सकी है। इसकी रोकथाम और लोगों को ऐसे मामलों से बचाने के लिए क्या हो सकता है, इस बारे में जमनीपाली के संत कबीर ऑडिटोरियम में कार्यशाला रखी गई।
पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ आईसीआईसीआई बैंक प्रबंधन से जुड़े प्रतिनिधियों ने इसमें मुख्य रूप से भागीदारी की। चूंकि मामले सभी तरह से आ रहे हैं इसलिए मुख्य रूप से थाना प्रभारियों अथवा उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति इसमें अपेक्षित रही। सुबह कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। आईसीआईसीआई बैंक के रीजनल मैनेजर ने यहां पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराते हुए बैंक फ्रॉड से संबंधित घटनाओं, इससे जुड़े पहलू और इनमें जवाबदेही को लेकर बात रखी। बताया गया कि अधिकांशत: मामले तब प्रकाश में आते हैं जब कोई भी व्यक्ति एटीएम या दूसरे हस्तांतरण विकल्पों में पासवर्ड किसी भी तरह से शेयर करता है। बहुत कम मामलों में ऐसा होता है जबकि पासवर्ड की क्लोनिंग की जाती है। इसलिए बैंकों का प्रबंधन ऐसे मामलों को लेकर अपने स्तर पर जन सामान्य को पर्याश्वत सावधानी बरतने के लिए कहता है।
यहां पर पुलिस के अधिकारियों ने भी अपनी बात रखी। कोरबा जिले में बीते वर्षों में बैंक फ्रॉड से संबंधित घटनाओं में प्रात शिकायतों, उनसे जुड़े फीडबैक को लेने के साथ अपराधी तक पहुंचने के प्रयास और सफलता के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि पुलिस और उसका साइबर तंत्र ऐसे मामलों में अपनी ओर से भरपूर कोशिश कर रहा है। शिकायत प्राप्त होने के साथ अगले कदम की ओर पुलिस काम करती है। इसी का नतीजा है कि एक वर्ष में लोगों के साथ हुई ऑनलाइन ठगी के काफी मामलों को हल करने के साथ लोगों को इनकी रकम लौटाई जानी संभव हुई है। यहां पर ठगी के नए तरीके पे-लोन एप के बारे में चर्चा की गई और बताया गया कि ठग किस तरीके से लोगों को अपने झांसे में लेते हैं और फिर ब्लैकमेलिंग करने के साथ उन्हें लंबी चपत लगाते हैं। हर स्तर पर लोगों की सतर्कता ही उन्हें बचा सकती है। इससे पहले मोबाइल टॉवर, लॉटरी और केबीसी गेम के सहारे लोगों से ठगी की जाती रही है।