आदिवासी समाज ने गोंडवाना साम्राज्ञी महारानी दुर्गावती के शौर्य को याद किया

कोरबा 25 जून। गोंडवाना साम्राज्ञी महारानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर आदिवासी समाज की ओर से आदिवासी शक्ति पीठ कोरबा में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में युवा प्रभाग शंभू शक्ति सेना महिला प्रभाग जंगो रायतार मातृशक्ति संघ ने आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया। संगोष्ठी में तिरूमाय विमला कंवर ने कहा कि तब पुरुष प्रधान राजतंत्र शासन व्यवस्था में जहां महिलाओं की भागीदारी बहुत नगण्य होने के बावजूद महारानी दुर्गावती ने स्वयं रणभूमि में हाथों में तीर कमानए तलवार ढाल लेकर मुगल बादशाह अकबर को कई बार पराजित कर अपने रणकौशल का लोहा मनवाया था। आज पूरे देश-दुनिया में महारानी दुर्गावती की कहानी को पढऩे.पढ़ाने की जरूरत हैए ताकि आने वाली पीढिय़ों को शौर्य गाथा से प्रेरणा मिलती रहे।

संघ की पदाधिकारी रमा राज ने कहा कि आज पूरा अरण्य क्षेत्र हाथीयों के दहशत में जी रहा है, लेकिन एक समय राजा महाराजाओं ने हाथियों को पालतू जानवर बनाकर युद्ध कला में निपुण बनाया था। गढ़ मंडला गोंडवाना की महारानी दुर्गावती के पास श्वेत रंग का दुर्लभ हाथी था, जिसका नाम सरमन था, जो महारानी के बलिदान से दुखी होकर रणभूमि में अपना सिर पटक-पटककर अपने प्राणों की आहुति देकर इतिहास में अमर हो गया। आज हाथी मानव द्वंद रोकने हाथियों को पालतू जानवर की तरह प्रशिक्षित बनाने की जरूरत हैए ताकि जल-जंगल-जमीन को संरक्षित करने में मदद मिलेगी। मातृशक्ति संघ की अध्यक्ष तिरूमाय कृष्णा राजेश ने कहा कि आज के दिन को मातृशक्ति शौर्य दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाना चाहिए। इस दौरान रमेश सिरका, निर्मल सिंह राज, बीएम धुर्वे, सेवकलाल मरावी, श्याम सिंह मरावी, प्रवीण पालिया, अवध पोर्ते, विक्रम सिंह कंवर, विनोद कुमार राज, देव कंवर, भानू प्रताप माधुरी धुर्व, विदयोन्ति पोर्ते सहित सामाजिक संस्था कंचन माटी सदस्य व अन्य उपस्थित रहे।

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