कारवां

अनिरुद्ध दुबे

जोगी कांग्रेस कहां पर !

2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस यानी जोगी कांग्रेस से 5 विधायक चुनकर आए थे। 5 में 2 विधायक अजीत जोगी एवं देवव्रत सिंह का देहांत हो गया। इस तरह जनता कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 3 हो गई है। पूर्व में संकेत तो यही मिलते रहे थे कि जोगी कांग्रेस के विधायक व्दय देवव्रत सिंह एवं प्रमोद शर्मा का रूझान कांग्रेस की तरफ है और देर-सबेर ये दोनों कांग्रेस में आ जाएंगे। देवव्रत के निधन के बाद परिस्थितियां कुछ बदली-बदली सी लग रही हैं। हाल ही में विधानसभा का 3 दिन जो शीतकालीन सत्र चला उसमें प्रमोद शर्मा भाजपा विधायकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते दिखे। किसी मुद्दे पर भाजपा विधायक सदन से वाक आउट किए तो प्रमोद शर्मा भी वाक आउट करते नज़र आए। विरोध स्वरूप भाजपा विधायक जब-जब विरोध दर्ज कराते गर्भ गृह पहुंचे प्रमोद शर्मा वहां भी उनके साथ थे। रही बात जोगी कांग्रेस के दो अन्य विधायकों की तो शीत सत्र में श्रीमती रेणु जोगी सहारा इंडिया की छत्तीसगढ़ में 500 एकड़ जमीन होने के मामले में सरकार को घेरते नज़र आईं। जहां तक जोगी कांग्रेस विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह की बात है तो बीच में वे गंभीर रूप से बीमार थे। इसी कारण विधानसभा के शीत सत्र में हिस्सा नहीं ले पाए। इन दिनों वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।

निकाय राजनीति में भाजपा
के हाथों फिसला रायपुर

पिछले दिनों नगरीय निकाय चुनाव चर्चा में रहे। सबसे ज़्यादा निगाहें बीरगांव नगर निगम चुनाव पर टिकी थीं। आखिर बीरगांव राजधानी रायपुर का हिस्सा जो है। एक ही रायपुर शहर में दो नगर निगम हो गए हैं- रायपुर नगर निगम एवं बीरगांव नगर निगम। अंतर है तो सिर्फ इतना कि दोनों नगर निगमों का चुनाव अलग-अलग समय पर होता है। बीरगांव में हाल ही में हुआ। बीरगांव में कांग्रेस के 19, भाजपा के 10 एवं जोगी कांग्रेस के 5 उम्मीदवार पार्षद चुनाव जीते। उसमें भी शुक्रवार को 3 निर्दलीय पार्षदों ने कांग्रेस प्रवेश की घोषणा कर दी। यानी कांग्रेस के पास अब 22 पार्षद हो गए और महापौर उसी का बनना तय है। इस तरह रायपुर में आने वाले दोनों नगर निगमों में कांग्रेस की सत्ता हो गई। पिछले पन्नों को पलटकर देखें तो निश्चित रूप से रायपुर में भाजपा का ग्राफ लगातार नीचे जाते ही दिखा है। वो भी उस रायपुर में जहां के बृजमोहन अग्रवाल एवं राजेश मूणत जैसे कद्दावर भाजपा नेता पूर्ववर्ती सरकार में लगातार 3 बार मंत्री रहे थे। देखा जाए तो रायपुर नगर निगम में श्रीमती किरणमयी नायक, प्रमोद दुबे एवं एजाज़ ढेबर एक के बाद एक कांग्रेस के महापौर बनते आ रहे हैं, वहीं बीरगांव के नगर निगम बनने के बाद वहां पहली बार भाजपा की अंबिका यदु महापौर बनी थीं। बीरगांव से ही लगे धरसींवा विधानसभा क्षेत्र से लगातार 3 बार भाजपा के देवजी पटेल विधायक रहे थे। बीरगांव में कभी देवजी भाई की पकड़ मजबूत मानी जाती थी। बीरगांव के दूसरी बार के निगम चुनाव में मानो सारा परिदृश्य ही बदल गया। आज वहां कांग्रेस का किला मजबूत हो चुका है। वैसे बीरगांव महापौर के लिए नंदलाल देवांगन, कृपाराम निषाद एवं भारती चंद्राकर जैसे नेताओं के नाम चल रहे हैं।

ऐश्वर्या और अभिषेक

पनामा पेपर्स लीक से जुड़े मामले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन से पूछताछ की तो छत्तीसगढ़ में भी धुंआ उठना ही था। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के चेयरमेन सुशील आनंद शुक्ला ने अख़बारों में बयान जारी करते हुए प्रश्न खड़ा किया कि ऐश्वर्या से तो पूछताछ हो गई अभिषेक से कब होगी? जिस किसी व्यक्ति ने अख़बार में जब इससे संबंधित शीर्षक पढ़ा होगा तो उसे एक पल तो यही लगा होगा कि ऐश्वर्या के पति अभिषेक बच्चन की बात हो रही है। ख़बर के भीतर झांकने पर पता चलता है कि सुशील बॉलीवुड वाले नहीं छत्तीसगढ़ वाले अभिषेक की बात कर रहे हैं। दिसंबर 2018 से पहले तक कांग्रेस जब विपक्ष में थी तब उसकी ओर से नान घोटाले के बाद पनामा पेपर्स का मुद्दा उछालकर तत्कालीन भाजपा सरकार के मुखिया को घेरने जबरदस्त कोशिश हुई थी। उस समय जहां कुछ लोग पनामा पेपर्स को गंभीरता से ले रहे थे वहीं कुछ लोगों की नज़रों में यह हवा हवाई था। आज जब ईडी व्दारा ऐश्वर्या से पूछताछ की ख़बर सुर्खियों में है तो जो लोग पहले संदेहग्रस्त थे अब उन्हें पनामा पेपर्स पर दम नज़र आने लगा है।

नये रायपुर के वीराने में
चली जाएगी संस्कृति

सरकार संस्कृति विभाग के संचालनालय को नया रायपुर में शिफ्ट करने की तैयारी में है। उड़ती-उड़ती यह ख़बर कला व संस्कृति से जुड़े लोगों को मायूस कर दे रही है। वर्तमान में संस्कृति विभाग का दफ़्तर नगर घड़ी चौक के पास है। रायपुर से बाहर के कलाकारों के लिए वर्तमान वाला दफ़्तर पहुंच में काफ़ी आसान रहा है। ट्रेन या बस से उतरो, आधे-पौन घंटे में सीधे संस्कृति के दफ़्तर पहुंच जाओ। नया रायपुर में यदि दफ़्तर शिफ्ट हो गया तो कला मर्मज्ञों के लिए वहां तक की यात्रा कितनी कठिन होगी इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। फिर ऑडिटोरियम व मुक्ताकाशी मंच भी तो वर्तमान दफ़्तर से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि ऑडिटोरियम हो या मुक्ताकाशी मंच, वहां होने वाले किसी भी कार्यक्रम की व्यवस्था बिठाना अफ़सरों व कर्मचारियों के लिए बड़ा आसान रहा है। यदि दफ़्तर नया रायपुर शिफ्ट हो गया तो सोचा जा सकता है वहां की दूरी कलाकारों के लिए कितनी तकलीफ़देह होगी।

कहां छिपा है महापौर
की एनर्जी का राज़

हाल ही में रायपुर महापौर एजाज़ ढेबर जब स्वच्छता एप पर प्रेस कांफ्रेंस ले रहे थे तब अचानक बीच में उन्हें जोरों से प्यास लग आई। स्पेशल नक्काशीदार तांबे के गिलास में उनके लिए पानी लाया गया। जिस जग से महापौर के लिए पानी ढाला गया वह भी तांबे का चमचमाता हुआ था। यह देखकर वहां मौजूद एक अनुभवी व्यक्ति का कमेंट था कि महापौर का सौंदर्य के साथ-साथ स्वास्थ्य बोध भी कितना तगड़ा है। वे अपने स्वास्थ्य को लेकर कितने सजग हैं। ख़तरनाक कोरोना ने न जाने कितने नेताओं को अपनी गिरफ़्त में लिया लेकिन महापौर को हिला नहीं पाया। महापौर ने इस क़दर रोग प्रतिरोधक क्षमता कहां से पाई, यह जानने और समझने की चीज है।

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