कुसमुंडा खदान में अब ठेका कर्मी विभागीय वाहन चलाएंगे

कोरबा 3 दिसंबर। कुसमुंडा खदान में संचालित डंपर, सरफेस व अन्य भारी मशीनों का संचालन अब ठेका पद्धति से शुरू कर दिया गया है, जबकि विभागीय वाहनों को नियमित कर्मियों द्वारा ही संचाालित किया जाना है। प्रबंधन की इस कार्यप्रणाली कर्मचारी व श्रमिक संघ प्रतिनिधियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है।

साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना मेगा प्रोजेक्ट की अग्रसर है। खदान में काफी संख्या में डंपर, सावेल, ड्रिल मशीन व सरफेस माइनर कटिंग मशीन उतारी जा रही है। नियमतः विभागीय मशीनों का संचालन करने की जिम्मेदारी नियमित कर्मचारियों की होती है, पर कुसमुंडा प्रबंधन ने इन भारी वाहनों के संचालन के लिए ठेका में कर्मी रखना शुरू कर दिया है। इसके लिए एसईसीएल ने वोल्टास कंपनी को आपरेटर उपलब्ध कराने का ठेका दिया है। बताया जा रहा है कि इन आपरेटरों ने काम भी शुरू कर दिया। जब इसकी जानकारी अन्य कर्मियों व श्रमिक संघ प्रतिनिधियों को मिली तो उनमें असंतोष व्याप्त हो गया और प्रबंधन की इस कार्यप्रणाली पर उन्होने आपत्ति भी जताई। पत्र लिख कर कहा है कि प्रबंधन के इस निर्णय से विभागीय कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा। इसके साथ ही कंपनी पर अनावश्यक वित्तीय भार का भी बोझ बढ़ेगा। ठेका पद्धति से कार्यरत मजदूरों को कोल इंडिया वेतन समझौता अनुरूप ठेकेदार वेतन प्रदान नहीं करेगा। साथ ही ठेका व नियमित कर्मियों की कार्यपद्धति अलग-अलग होगी। श्रमिक संघ प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रबंधन को इस पर विचार कर पुनः निर्णय लिया जाना चाहिए।

कुसमुंडा खदान को चालू वित्तीय वर्ष में 43 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना है। इस मेगा प्रोजेक्ट को पूरी तरह विभागीय कर्मियों द्वारा संचालित किया जाना हैए इसलिए उत्पादन बढ़ाने की अनुमति मिल रही है। बावजूद प्रबंधन ठेका पद्धति से काम करा रही है। ठेका कर्मियों ने सावेल, डंपर, सरफेस मशीन का संचालन भी शुरू कर दिया है। कोयला प्रबंधन द्वारा कोई भी निर्णय लेने से पहले श्रमिक संघ प्रतिनिधियों से चर्चा की जाती है, पर कुसमुंडा में ठेका पद्धति से आपरेटर रखने के संबंध में चर्चा नहीं की गई। सीटू के महासचिव वीएम मनोहर का कहना है कि श्रमिक संघ को विश्वास में लिए बगैर ही ठेका पद्धति से आपरेटर लगा कर काम शुरू कर दिया गया। उच्च स्तरीय बैठक के दौरान यह तय किया गया था कि कुसमुंडा परियोजना क्षेत्र को विभागीय कर्मचारियों द्वारा पूर्ण रूप से संचालन किया जाएगा। इसी शर्त पर 53 मिलियन टन कोयला उत्पादन की स्वीकृति प्रदान की गई थी, पर यहां अब उल्टा होने लगा है। सीटू इसका विरोध करता है और इस निर्णय को वापस नहीं लिया जाता तो 15 दिसंबर के बाद संघ आंदोलन के लिए बाध्य होगा।

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