कुसमुंडा क्षेत्र में कोयला मंत्रालय की टीम ने शुरू की जांच, बड़े घोटाले का हो सकता है पर्दाफ़ाश
कोरबा 26 अक्टूबर। साऊथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की कुसमुंडा कोयला खदान में कोयले की शार्टेज को लेकर उच्च स्तरीय जांच प्रारम्भ हो गई है। इसी बीच कुसमुंडा के बहुचर्चित मुख्य महाप्रबन्धक आर पी सिंह का मंगलवार को तबादला कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार कुसमुंडा कोयला खदान में 40 लाख टन कोयला का स्टॉक कथित रूप से कम है। यह जानकारी कोयला मंत्रालय को मिली तो वहां से एक जांच दल बनाकर कुसमुंडा भेजा गया। यह जांच दल कोयले के स्टॉक की जांच कर रहा है। इस दल के साथ सी एम पी डी आई के अधिकारी भी आये हुए हैं। सूत्रों की मानें तो जांच दल कोयले की कमी के साथ यह पता लगाएगा की फर्जी उत्पादन बताकर प्रबन्धन ने अपना नम्बर बढ़ाया है या कोयले की ऑफर तफरी की गई है?
उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा के सी जी एम ने बीते दिनों में सड़क खरसब होने की वजह बताकर दो बार लम्बे समय के लिए रोड सेल का कोयला आबंटन बन्द कर दिया था। सूत्रों की मानें तो सड़क की खराबी तो बहाना था। असल में यहां कोयला का स्टॉक खत्म हो गया था, जबकि कागजों में 40 लाख टन से अधिक कोयला का स्टॉक दिख रहा था। खास बात यह है कि सी जी एम आर पी सिंह के पदस्थ रहने के दौरान कुसमुंडा क्षेत्र में हुई आगजनी की घटनाएं भी संदिग्ध बताई जाती रही हैं और आगजनी की आड़ में लाखों रुपयों का सप्लाई घोटाला होने की चर्चा सुनने में आती रही हैं।
बहरहाल कुसमुंडा में उच्च स्तरीय जांच के बीच सी जी एम आर पी सिंह का मंगलवार को तबादला कर दिया गया। एस ई सी एल प्रबन्धन ने कुल 5 अधिकारियों का स्थानांतरण किया है। जारी आदेश के मुताबिक विवादित कुसमुंडा जीएम आर पी सिंह को मुख्यालय अटैच किया गया है।
गौरतलब है कि कोयला मंत्री के दौरे के बाद एसईसीएल में सर्जरी शुरू हो गई है। कुसमुंडा एरिया के एजीएम पद पर पदस्थ विवादित आर पी सिंह का पहला विकेट गिरा है। उनके स्थान पर संजय मिश्रा की पदस्थापना कुसमुंडा क्षेत्र में की गई है। फिलहाल वे रायगढ़ क्षेत्र में पदस्थ हैं। आपको बताते चले कि श्री सिंह का कार्यकाल पूरी तरह विवादों में घिरा रहा। कोयला डिस्पेच से लेकर सामग्री खरीदी में भी कई तरह गड़बड़ी का आरोप लगते रहा है। यही वजह है कि उनकी लगातार शिकायत हो रही थी।
इसके अलावा एस ई सी एल के गेवरा और दीपका क्षेत्र में भी पिछले दिनों कोल स्टाक की जांच हुई थी और यहां भी बड़ी मात्रा में कोयला का स्टॉक कम पाया गया था। कोरबा जिले की कोयला खदानों से बड़ी मात्रा में कोयला की अफरा तफरी की चर्चा हमेशा सुनने में आती रही है। इसी के साथ प्रबन्धन द्वारा उत्पादन का फर्जी आंकड़ा जारी करने की चर्चा बी सुनने में आती रही है। बहरहाल सच्चाई जो हो कुसमुंडा की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद काफी कुछ तस्वीर स्पष्ट हो सकती है।