किशोरी को बालिका वधू बनने से अमले ने रोका

कोरबा 15 जुलाई। एक किशोरी बालिका वधू बनने से बच गई। नाबालिग होते हुए भी बेटी के हाथ पीले करने की तैयारी कर रहे परिजनों पर विभाग ने शिकंजा कसा। इस बात की सूचना मिलने पर पहुंचे अमले ने शादी रुकवाई। प्रमाण पत्र की जांच में पाया गया कि कन्या की उम्र 18 साल से कम पाई गई। नियमानुसार निर्धारित उम्र होने तक विवाह न करने के लिखित संकल्प पत्र लेने के साथ परिजनों को समझाइश भी दी गई है।

महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना कार्यालय करतला अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटमेर में बाल विवाह की सूचना मिलने पर करतला परियोजना अधिकारी राधेश्याम मिर्झा के निर्देश पर पर्यवेक्षक रमोला रानी राय, प्रियंका लकड़ा, माना राठिया एवं जिला बाल संरक्षण इकाई कोरबा के छोटे लाल राठिया एवं पुलिस विभाग करतला की ओर से जांच की गई। जांच में टीम ने पाया कि कन्या की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इस संबंध में परिजनों की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों का परीक्षण करने के पश्चात कन्या पक्ष एवं उनके परिवारजनों को समझाइश दी गई और बाल विवाह को रोका गया। परिजनों से एक शपथ पत्र भी भरवाया गया कि जिसमें उन्होंने बेटी के बालिग होने पर ही शादी करवाने का वादा किया। परिवार को फिलहाल समझाइश देकर छोड़ दिया गया है।

खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग नाबालिग लड़के और लड़कियों को सात फेरों के बंधन में बांध देते हैं। यह कानूनन अपराध है, जानते.बूझते हुए भी लोग बाल विवाह कराने में गुरेज नहीं करते। पूर्व के वर्षों में विवाह के लिए छपने वाले निमंत्रण.पत्र में वर.वधु के आयु का प्रमाण देते हुए अंकित करने के निर्देश भी जारी किए गए थे। इसके बाद भी लोग नियमों का पालन करने की बजाय उनका उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे, जिसका दुष्परिणाम वधु के जीवन से खिलवाड़ भी हो सकता है।

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