दिव्यांग सधवाराम की मृत्यु की निष्पक्ष जाँच की मांग.. संयुक्त शिक्षक संघ ने सौंपा ज्ञापन

मृतक शिक्षक सधवाराम बंजारे

कोरबा। तानाखार के दिव्यांग शिक्षक सधवाराम बंजारे की मृत्यु के पश्चात एक बार पुनः जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग व शिक्षक संघ आमने-सामने हो गए हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संघ ने अपने साथी सहकर्मी स्वर्गीय सधवाराम बंजारे की मृत्यु की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए कोरबा कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।

अपने ज्ञापन में उन्होंने कलेक्टर महोदया को याद दिलाया की संघ द्वारा 6 मई को ही ज्ञापन सौंपकर दिव्यांग शिक्षकों, गर्भवती व शिशुवती महिला शिक्षकों तथा उन शिक्षकों को जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं की ड्यूटी जोखिम पूर्ण कार्यों जैसे कोरोना सर्वे में ना लगाए जाने की मांग की थी परंतु जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। इसके परिणाम स्वरूप 60% दिव्यांग सधवाराम बंजारे की ड्यूटी एक्टिव सर्विलांस में लगा दी गई। ड्यूटी के दौरान स्वर्गीय बंजारे कोरोना संक्रमित हो गए व कुछ दिनों पश्चात संक्रमण से उनकी मृत्यु हो गई।

संयुक्त शिक्षक संघ ने अपने ज्ञापन में बताया की स्वर्गीय बंजारे द्वारा दिव्यांगता के आधार पर अपनी ड्यूटी निरस्त कर दूसरे कार्यों में लगाने हेतु संबंधित अधिकारियों से निवेदन भी किया गया था परंतु जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा अपनी हठधर्मिता व असंवेदनशीलता का परिचय देते हुए उनके इस निवेदन को नजरअंदाज कर दिया गया। संयुक्त शिक्षक संघ का आरोप है की दिव्यांग शिक्षक की ड्यूटी जोखिम पूर्ण कार्य में लगाना कोविड-19 गाइडलाइंस के विरुद्ध है। शिक्षक संघ ने मांग की है कि शिक्षक सधवाराम बंजारे की मृत्यु के दोषी, लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध निष्पक्ष जांच करते हुए उन पर कड़ी कार्यवाही की जाए। ज्ञापन के साथ शिक्षक संघ द्वारा हाई स्कूल तानाखार के प्राचार्य व संकुल समन्वयक के उस आदेश की प्रतिलिपि भी लगाई गई जिसमें दिव्यांग शिक्षक की ड्यूटी कोरोना सर्वे के कार्य में लगाई गई थी।

शिक्षक की मौत के बाद जागा प्रशासन.. हुआ जाँच का आदेश

वही दिव्यांग शिक्षक की मौत का मामला गरमाते देख और शिक्षक संघ द्वारा ज्ञापन सौंपने के पश्चात कुंभकरण की नींद सो रहा जिला प्रशासन भी हरकत में आया और कल देर रात आरोपी अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए शिक्षक बंजारे की मृत्यु की जाँच हेतु जाँच समिति गठित कर दी गई। अब देखना यह होगा इस प्रकरण में जिला प्रशासन के द्वारा गंभीरता से कोई निष्पक्ष जाँच की जाती है या लीपापोती कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

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