कोरोना मौत का तांडव देख, सैकड़ों की जान बचाने वाले डॉक्टर ने परेशान होकर खत्म की अपनी जीवन लीला

नई दिल्ली 1 मई: कोरोना काल मे कोरोना संक्रमित मरीज ही केवल मानसिक तनाव या डिप्रेशन में नहीं रहते बल्कि इलाज करने वाले चिकित्सक भी इस दौर से गुजरते हैं, वे भी उतने ही तनाव में रहते हैं जितना कोरोना संक्रमित मरीज.कोरोना की दुसरी लहर में हर रोज अपने सामने मरीजो को मरता देख इलाज करने वाले एक युवा चिकित्सक ने डिप्रेशन में आकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली।

ऐसी ही दुखद और ह्रदयविदारक घटना दिल्ली में सामने आई हैं. बताया जाता हैं कि कोरोना से सैकड़ो लोगो की जान बचाने वाला और मरीजो का इलाज करते करते एक निजी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर विवेक रॉय गंभीर मानसिक तनाव आ गए इसी तनाव में अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली।

डॉ विवेक राय पिछले एक महीने से निजी अस्पताल में कोविड के मरीजों की देखभाल कर रहे थे, पूर्व आईएमए प्रमुख डॉ वानखेडकर ने कहा कि वह हर दिन सात से आठ गंभीर रोगियों का इलाज कर रहे थे। हर दिन कोरोनो की दूसरी लहर में अधिक से अधिक लोगों के अपने सामने मरता हुआ देखकर युवा चिकित्सक डिप्रेशन का शिकार हो गए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व प्रमुख डॉ रवि वानखेडकर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि वो गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के एक बहुत ही शानदार डॉक्टर थे और महामारी के दौरान सैकड़ों लोगों की जान बचाने में मदद की।” डॉ वानखेडकर ने कहा, “इस निराशा की स्थिति के कारण, वह अपने जीवन को समाप्त करने का कठिन निर्णय लिया क्योंकि उन्‍होंने कोरोना में मरे लोगों की पीड़ा और भावनाओं के साथ जीवन व्यतीत करना था।” उन्‍होंने बताया 2020 नवंबर में ही उनकी शादी हुई थी उनकी पत्‍नी दो महीने की गर्भवती है।
पूर्व आईएमए अध्यक्ष ने ट्वीट किया “यह कोविड संकट का प्रबंधन करते समय जबरदस्त भावनात्मक तनाव होता है। युवा डॉक्टर की मृत्यु ‘सिस्टम’ द्वारा हत्या से कम नहीं है, जिसने बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के साथ निराशा पैदा की है। खराब विज्ञान, खराब राजनीति और खराब शासन। ”
पिछले कुछ सप्‍ताह में कोविड के मामलों में वृद्धि के कारण अब महामारी की दूसरी लहर कहा जा रहा है। सोशल मीडिया उन हताश लोगों की कहानियों से भरा है जो अपने दोस्तों और परिवार के लिए ऑक्सीजन या अस्पताल का बिस्तर खोजने की कोशिश कर रहे हैं।

Spread the word