औपचारिक अंदाज में मनायी गई रामनवमी

कोरबा 21 अप्रेल। उत्सवी वातावरण में मनाया जाने वाला रामनवमी पर्व इस बार औपचारिकता में सिमट गया। पुजारी और गिनती के भक्त मंदिर में जुटे। मध्यान्ह 12 बजे भगवान श्रीराम का प्राकट्य पर्व मनाने के साथ यहां स्तुति की गई। इससे पहले भगवान का अभिषेक कराया गया।

कोरोना कालखंड को देखते हुए प्रशासन ने अप्रैल के पहले पखवाड़े से ही लॉकडाउन लगा रखा है। एक पखवाड़े के लिए किये गए लॉकडाउन की समाप्ति कितने समय तक चलेगीए यह सुनिश्चित नहीं है। इसलिए अधिकांश पर्वए त्योहार यूं ही पार हो रहे हैं। मंदिरों में नवरात्र पर कोई आयोजन नहीं हुए। इसी तरह का आदेश रामनवमी पर्व को लेकर भी प्रसारित हुआ था। उक्तानुसार लोगों ने रामनवमी की शुभकामनाएं सोशल मीडिया और मोबाइल पर दी। मंदिरों में रामनवमी पर आयोजन नहीं हुए। दी गई अनुमति के हिसाब से अधिकांश मंदिरों में पुरोहितों ने ही इस पर्व की परंपरा निभाई। कुछ स्थानों पर गिनती के लोग रहे। दोपहर 12 बजे से पहले मंदिरों में पूजा.अर्चना का दौर शुरू हुआ। शास्त्रोत्व विधि विधान से विग्रह का अभिषेक करने के साथ नए वस्त्र और आभूषण अर्पित किये गए। अभिजीत मुहूर्त में भगवान रामचंद्र के प्राकट्य उत्सव की खुशी मनाई गई। शंख ध्वनि और स्वचलित वाद्य यंत्रों के माध्यम से इसे प्रकट किया गया। इसके साथ भगवान का गुणगान करते हुए जन कल्याण के लिए उनके अवतरण की युगांतरकारी घटना का स्मरण किया गया। भगवान की स्तुति और आरती के साथ प्राकट्य पर्व संपन्न हुआ।

रामनवमी पर्व पर बीते वर्षों में कोरबा नगर के साथ-साथ उपनगरीय क्षेत्र बालकोनगर, दर्री, कुसमुंडा, बांकीमोंगरा, दीपका और कटघोरा में सार्वजनिक आयोजन करने की परंपरा रही। विभिन्न संगठनों के द्वारा रामनवमी पर भव्य शोभायात्रा और झांकियां निकालने के साथ मंचीय आयोजन भी होते रहे। इसके माध्यम से समाज को एक सूत्र में पिरोने और रामभक्तों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाता रहा। ये सब तस्वरीरें वर्ष 2020 के साथ-साथ इस वर्ष भी कुल मिलाकर पुराने अध्याय मात्र बनकर रह गए। लोगों को इस बात की खुशी जरूर है कि वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्याधाम में रामजन्म भूमि पर श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हुआ है जो जारी है।

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