सूत्र पटल@ नाजिम हिकमत
तुर्की का महाकवि नाजिम की प्रेम कवितायेँ
एक
हवा बहती है , गुज़र जाती है
हवा के एक ही झोंके में
चेरी के वृक्ष की वाही शाख
दो बार नहीं झूम पाती है
वृक्षों पर पक्षी गाते जा रहे हैं
डैनों में उड़ने की प्यास है।
द्वार बंद :
धक्का मार इसे खोलना होगा
मुझको तुम्हारी जरूरत है
जिन्दगी को तुम्हारी तरह खुबसूरत ,
किसी दोस्त , किसी प्रेयसी-सी होना चाहिए।
जानता हूँ , दुःख-दर्द की भरी थाली में
बहुत दिनों तक अभी खाना है
लेकिन यह ख़त्म होगा , ख़त्म होगा
+++
दो
झुका हुआ पृथ्वी को निहारता हूँ
शाखों को
जिन पर नीले बौर जगमगा रहे हैं
निहारता हूँ –
तुम वासंती पृथ्वी , प्रिये ,
तुमको निहारता हूँ
गाँव में मैंने रात में आग जला दी
उसे छुओ
तारों के नीचे जलती हुई आग तो तुम हो
और मैं तुम्हें छूता हूँ ,प्रिये
तुमको बेचैन होकर
हर लम्हा देखता हूँ
आदमिओं के बीच
आदमिओं को मैं प्यार करता हूँ
कर्म से मुझे प्रेम है
मुझे सुंदर विचारों से प्रेम है
मेरे संघर्ष के बीच
तुम इंसानी शक्ल धरे बैठी
ओ प्रिये
तुम्हे बेहद प्यार करता हूँ।
नाजिम हिकमत ने ये कवितायें जेल से अपनी प्रिय पत्नी को लिखीं थीं। अधिक