जंगलों के बाद अब शहरी क्षेत्र में बढ़ रही नक्सली धमक

न्यूज एक्शन। पहले धुर जंगलों में सक्रिय नक्सलियों का लाल आतंक वनों तक सिमटा रहता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नक्सलियों की सक्रियता शहरी क्षेत्र में भी बढ़ी है। यहां तक कि नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का खुलासा भी हो चुका है। गत दिनों सड़क किनारे बैनर, पोस्टर लगाकर चार नक्सली सहयोगियों को धमतरी जिले की सीमा से लगे उड़ीसा राज्य की पुलिस ने रात में पकड़ा था। 25-26 मार्च की रात ओडिशा के रायघर थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारी-कर्मचारी गश्त और नाका ड्यूटी में तैनात थे। गश्त करती पुलिस टीम नक्सल प्रभावित क्षेत्र कुसुमपुर चौक की ओर गई। इसी दौरान सड़क किनारे पेड़ पर नक्सली बैनर-पोस्टर लगाते 4 लोगों को पुलिस ने घेराबंदी कर धर दबोचा। पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ किए तो सभी युवकों ने नक्सलियों के जनमिलिशिया सदस्य के रूप में काम करने की बात बताई। पिछले दो दिन में नक्सलियों ने कांकेर और धमतरी जिलों में दो घटनाओं को अंजाम दिया जिसमें बीएसएफ के चार और सीआरपीएफ के एक जवान शहीद हो गए हैं। इन इलाकों में अरसे बाद नक्सलियों ने मौजूदगी दर्ज कराई है। जबकि नक्सल घटनाओं के लिए सबसे ज्यादा बदनाम सुकमा, बीजापुर और नारायणपुर जिलों में फिलहाल कोई वारदात सामने नहीं आई है। इस तरह से नक्सलियों की सक्रियता अब शहरी क्षेत्रों से लगे सीमाओं पर बढऩे लगी है। मौजूदा समय में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। ऐसे में नक्सलियों द्वारा बड़े हमले की आशंका भी बनी हुई है। वैसे भी नक्सली हमलों को लेकर पुलिस बल अलर्ट है, लेकिन खतरा इस बात का है कि धमतरी सीमा तक पहुंचने वाले नक्सली प्रदेश के अन्य शहरी जिलों में भी अपनी धमक दे सकते हैं। कोरबा जिला में जशपुर व सरगुजा वन परिक्षेत्र से जुड़ा हुआ है। इस रास्ते से नक्सलियों की धमक शहरी सीमा तक हो सकती है। वैसे भी कई वर्षों पूर्व ऐसी नक्सल सुगबुगाहट कोरबा में पहले भी हो चुकी है।

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