ओवरलोड से हो रही कोयला की अफरा-तफरी
न्यूज एक्शन। एसईसीएल की कोयला खदानों से बदस्तूर कोयला की अफरा तफरी का दौर जारी है। विभागीय सांठगांठ और संरक्षण के कारण यह धंधा जमकर फलफूल रहा है। कुसमुंडा पुलिस ने एक ऐसे ही ओवरलोड ट्रक को पकड़ा है। जिसमें डीओ से अधिक कोयला लोड कर उसकी अफरा तफरी की जा रही थी। मामले में पुलिस ने ट्रक के चालक और परिचालक के खिलाफ धारा 120बी, 34, 379 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। कुसमुंडा खदान से ओवर लोड निकलने वाली यह कोई इकलौती गाड़ी नहीं है। सूत्र बताते हैं कि इस तरह के ओवरलोड कई ट्रक रोजाना खदान से कोयला की अफरा तफरी में लगे हुए हैं। उक्त ट्रक मेंं लगभग 50 हजार का अतिरिक्त कोयला भरा हुआ था। इस लिहाज से रोजाना एसईसीएल की इस खदान से लाखों का कोयला बड़ी आसानी से पार हो रहा है। ट्रक क्रमांक सीजी12एस-3548 का चालक प्रदीप कुमार एवं परिचालक राजा गेवरे कुसमुंडा खदान नंबर 3 कांटा नंबर 24 से कांटा कराने के बाद ट्रक लेकर निकला था। जिसे भु_ा चौक के पास घेराबंदी कर कुसमुंडा पुलिस ने पकड़ा। चालक से बिल्टी दिखाने कहा गया। जिसका बिल्टी नंबर 6525, पास नंबर 61 व तिथि 14 मार्च 2019 लिखा हुआ है। जिसका डीओ एसकेएस इस्पात पावर लिमिटेड सिलतरा रायपुर के लिए डीओ नंबर 11016 वजन 20.090 टन कोयला लोड था। जिसमें 12.280 टन अधिक कोयला भरकर ले जाया जा रहा था। अतिरिक्त कोयला की कीमत 52 हजार 400 रुपए बताई गई है। चालक, परिचालक ने षडय़ंत्र पूर्वक कोयला चोरी कर इसे खपाने का प्रयास किया। जबकि चालक ने ट्रक मालिक श्यामपाल के आदेश पर कोयला लोड करने की बात कही है। मामले में ट्रक मालिक श्यामपाल व उसके अन्य साथी मौके से फरार हो गए हैं। कुसमुंडा पुलिस की इस कार्रवाई में कुसमुंडा खदान में चल रहे अफरा तफरी के खेल को खोलकर रख दिया है। पुलिस ने तो केवल एक ही ओवरलोड वाहन को पकड़ा है। जबकि खदान से तो रोजाना ही दर्जनों ओवरलोड ट्रकें निकल रही है। इस तरह से सेटिंग व सांठगांठ के बूते यह धंधा जमकर फलफूल रहा है। पुलिस को इस मामले में तह तक जाकर कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। केवल चालक, परिचालक के बूते कोयला की अफरा तफरी संभव नहीं है। इस काम में एसईसीएल के विभागीय अफसरों की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। वहीं सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सीआईएसएफ तथा कांटाघर में तैनात कर्मियों पर भी शक की सूई घूम रही है।
सुरक्षा के नाम पर करोड़ों खर्च का क्या फायदा
एसईसीएल की कोयला खदानों में विभागीय सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के अलावा सीआईएसएफ को भी सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है। यानि कि सुरक्षा के नाम पर एसईसीएल प्रबंधन द्वारा करोड़ों रुपए हर माह खर्च किया जा रहा है। यह राशि सीआईएसएफ एवं विभागीय सुरक्षा कर्मियों को वेतन के रूप में प्रदान किया जाता है। सुरक्षा के तमाम इंतजाम के बाद भी कोयला की अफरा तफरी रुकने के बजाए बढ़ रही है। ऐसे में सुरक्षा के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने का क्या फायदा। इसके अलावा खदान से कोयला लोड होकर निकलने वाली ट्रक कांटाघर पहुंची है जहां ट्रक का वजन डीओ के अनुसार होता है। इसके बाद भी खदान से ओवर लोड ट्रक निकलना कांटाघर कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल पैदा कर रहा है।
अवैध कोयला में 2 हजार प्रति टन
कोयला खदान से अवैध कोयला बाहर लाने तक प्रति टन 2 हजार रुपए खर्च होता है। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए कांटा घर से संबंधित कर्मियों को 12 हजार रुपए तय है। यानि उनके जेब में प्रति टन 1 हजार रुपए जाता है। वहीं 1 हजार रुपए माईनिंग सरदार, पर्ची बाबू, लोडर सहित अन्य खर्च प्रति टन के हिसाब से खर्च होते हैं। इसके बाद भी अफरा तफरी करने वालों को मोटी कीमत मिलती है। क्योंकि बाजार में इसकी कीमत 50 हजार रुपए से अधिक होती है। यानि यह धंधा दोगुना कमाई देने का साबित होता है। एक लगाओ तो दो पाओ की तर्ज पर कहावत चरितार्थ हो रही है।