आखिर कहां खप रही चोरी की बाइक, ऑटो सेंटरों की जांच की जरूरत
कोरबा। जिले में बाइक चोरी की वारदात लगातार बढ़ती जा रही है। खासकर साप्ताहिक बाजार वाहन चोरों के निशाने पर है। लगातार बाइक चोरियों की रिपोर्ट थाना, चौकी में दर्ज कराई जा रही है, लेकिन पुलिस न तो चोरी कम कर पा रही है और न ही चोरों को पकड़कर वाहन बरामद करने में सफल हो पा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चोरों द्वारा दुपहिया वाहन चोरी करने के बाद कहां खपाया जा रहा है? ऐसे में जिले में संचालित ऑटो सेंटरों पर निगाह जाकर टिकना लाजिमी है। क्योंकि इन दुकानों में सेकेंड हेंड दुपहिया बेचे जाते हैं। जिले में पहले भी ऑटो सेंटर की आड़ में चोरी के वाहन खपाए जाने का खुलासा हो चुका है। इसके बाद भी बढ़ती चोरियों के बावजूद ऑटो सेंटरों की जांच नहीं किया जाना समझ से परे है।
औद्योगिक नगरी कोरबा में बाइक चोरी की घटनाएं आम हो चली है। रोज एक नए बाइक चोरी के मामले सामने आते हैं। साल में औसतन प्रतिदिन बाइक की चोरियां होती हैं। कुछ लोग तो दस्तावेजों के अभाव में वाहन चोरी की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराते। अन्यथा यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। दुपहिया वाहन चोरों को पकडऩे में जिला पुलिस महकमा कामयाब नहीं हो पा रहा है। लगातार चोरियों के बाद भी चोरी रोकने की कवायद भी नजर नहीं आ रही है। पुलिस की कार्रवाई सिर्फ एफआईआर दर्ज करने तक सीमित है। पुलिस यह जानने का प्रयास भी नहीं करती है कि बाइक क्यों इतनी ज्यादा चोरी हो रही है। चोरी होकर कहां जा रही है और कैसे इन्हें बरामद किया जा सकता है। जिले के शहरी, उपनगरीय यहां तक की ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऑटो सेंटर संचालित हो रहे हैं। इन ऑटो सेंटरों में उपयोग हुए वाहनों को बेचने के लिए रखा जाता है। जो नई वाहन नहीं खरीद पाते वे इन ऑटो सेंटरों से सेकेंड हेंड दुपहिया वाहन खरीद लेते हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ समय से यह धंधा जमकर चमका है, लेकिन आपराधिक तत्व के लोग इस धंध्ेा की आड़ में दुपहिया वाहन चोर गिरोह भी संचालित करते रहे हैं। जिला पुलिस पहले वाहन चोरी के मामले में ऐसे ऑटो सेंटर का भंडाफोड़ कर चुकी है। चोरी करने के बाद ऑटो सेंटर की आड़ में चोरी की दुपहिया खपा दी जाती थी। यहां तक कि वाहन का फर्जी कागजात तैयार कर यह धंधा संचालित हो रहा था। इस कार्रवाई के बाद लंबे समय से ऐसे ऑटो सेंटरों की जांच देखने को नहीं मिली है। लगातार हो रही बाइक चोरियों के बाद भी ऑटो सेंटरों की जांच नहीं किया जाना समझ से परे है। अगर पुलिस द्वारा इस दिशा में जांच सुनिश्चित की जाती है तो निश्चित ही वाहन चोर गिरोह पर शिकंजा कसने की संभावना बढ़ सकती है।
लोग चिंतित पर पुलिस नहीं
बढ़ती बाइक चोरी से शहर के लोग चिंतित है, लेकिन पुलिस, प्रशासन इसे लेकर गंभीर नहीं दिख रहा। आम आदमी के लिए बाइक खरीदना आसान नहीं होता। एक बाइक खरीदने के लिए किसी को पैसे उधार लेने पड़ते हैं तो किसी को जमा पूंजी लगानी पड़ती है। चोर आसानी से इसे चोरी कर ले जाते हैं। पुलिस के ढीले रवैय्ये के कारण आम आदमी की कई सालों की सेविंग बर्बाद हो जाती है। बीमा क्लेम के लिए भी वाहन मालिक को कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
मास्टर-की से तोड़ते हैं लॉक
बताया जाता है कि पलक झपकते ही चोर मास्टर-की की मदद से लॉक तोड़कर बाइक चोरी कर लेते हैं। पहले पकड़े जा चुके चोरों द्वारा पुलिस पूछताछ में चोरी के इस स्टाइल का खुलासा भी होता रहा है। चोरी करने के बाद वे बाइक को लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं। इन बाइक को वे कहां खपाते हैं यह पुलिस पता नहीं कर पाती। यही कारण है कि पुलिस गायब हुए वाहनों की बरामदगी नहीं कर पा रही है।
सड़क किनारे रहता है कब्जा
एक तरफ जहां लगातार हो रही बाइक चोरियों के बाद भी ऑटो सेंटरों की जांच नहीं हो रही है वहीं यातायात व्यवस्था को प्रभावित करने वाले ऐसे सेंटर संचालकों के खिलाफ यातायात व नगर निगम द्वारा कार्रवाई देखने को नहीं मिल रही है। शहर में संचालित ऑटो सेंटर संचालक सड़क किनारे वाहनों की प्रदर्शनी लगाए हुए हैं। जिससे यातायात व्यवस्था बाधित होती है।
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