खूनी दंतैल की ट्रेकिंग करने में नाकाम हो रहा वन विभाग

न्यूज एक्शन। अंबिकापुर के उदयपुर से जिले की सीमा में पहुंचा खूनी दंतैल वन विभाग के लिए सिर दर्द बन चुका है। दंतैल को ट्रेकोलोजेशन (बेहोश) करना तो दूर वन विभाग उसका सही तरीके से लोकेशन नहीं ढूंढ पा रहा है। वन विभाग को हर साल साधन, संसाधन के नाम पर लाखों, करोड़ों का फंड जारी होता है। विभाग में अफसरों से लेकर कर्मचारियों की लंबी चौड़ी फौज है। जिनके वेतन के रूप में हर माह लाखों रुपए शासन देती है। इस लिहाज से हाथियों से बचाव की दिशा में कोई खास कदम उठता दिखाई नहीं पड़ रहा है। एक तरफ तो जहां वन विभाग के लावलश्कर के लिए पैसे पानी की तरह बहाए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर वन अमला हाथी का लोकेशन ढूंढने के लायक तक नहीं है। अधिकांश अफसर कर्मचारियों को मौके पर तैनात कर अपने घरों में आराम फरमाते हैं। जबकि दूसरी ओर वन्य क्षेत्र से लगे गांवों में हाथी के हमले का खतरा बढ़ गया है। खूनी दंतैल कभी भी आबादी क्षेत्र में पहुंचकर भारी जनहानि कर सकता है। वैसे भी वन विभाग की नाकामी कुछ दिनों पहले ही स्पष्ट तौर पर देखने को मिली थी। जब चार हाथियों का झुंड शहर के बीचोबीच प्रवेश कर गया था। शहर की कॉलोनी में हाथी चिंघाड़ रहे थे। जबकि अब तक हाथी शहर से लगे सीमा तक ही सीमित रहते थे। पहली बार वे शहर के बीचोबीच पहुंचे थे। एक ऑटो चालक पर हाथियों ने हमला भी किया था। इस तरह से वन अमला हाथियों के टे्रकिंग में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। वन विभाग में लंबे समय से अधिकारी, कर्मचारी जमे हुए हैं। जिन्होंने जंगल को कमाई का जरिया बना रखा है। कभी ठेके के नाम पर तो कभी अवैध कटाई के नाम पर वन विभाग के कुछ कर्मचारी चर्चाओं में बने रहते हैं। यही कारण है कि हाथियों के टे्रकिंग को लेकर वन अमला महज खानापूर्ति करता रहा है। अब जब खूनी दंतैल वन्य सीमा में विचरण कर रहा है तो टीम उसका लोकेशन तक ढंूढ नहीं पा रही है। गांव की आबादी क्षेत्र तो दूर वन विभाग की नाकामी से ऐसा भी हो सकता है कि हाथी शहरी सीमा में घुसकर तांड़व न मचा दे।

अधिकारियों के बयान में विरोधाभास
खूनी दंतैल के वन्य सीमा में मौजूदगी को लेकर शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के वन अधिकारियों के बयान में विरोधाभास है। ग्रामीण क्षेत्र के अफसर जहां ख्ूानी दंतैल का लोकेशन कॉफी पाइंट बालको के आसपास के जंगल में बता रहे हैं तो शहरी क्षेत्र के अधिकारी नकिया जंगल में खूनी दंतैल के विचरण करने की बात कह रहे हैं। इस तरह से अधिकारी भी हाथी का सही लोकेशन बता पाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं। मैदानी अमले का मोबाइल या तो कवरेज से बाहर है या जानबूझकर बाहर कर दिया गया है। यही कारण है कि हाथियों के लोकेशन को लेकर सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।

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