चौक के सिपाही बने शो-पीस

न्यूज एक्शन। औद्योगिक नगरी में साल दर साल यातायात का दबाव बढ़ता जा रहा है। हादसों का ग्राफ ऊपर की ओर जा रहा है। सड़क हादसों में लोगों की अकाल मौत हो रही है। पुलिस प्रशासन के लिए जिले में घटित होने वाले सड़क हादसों पर अंकुश लगाना हमेशा से एक चुनौती बना रहा है। उप नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में यातायात व्यवस्था चरमराती है। हादसे भी अधिक होते हैं, लेकिन हादसों से शहरी क्षेत्र की सड़कें भी अछूती नहीं है। लिहाजा शहर में यातायात व्यवस्था तगड़ी रखने का प्रयास रहता है। यही वजह है कि शहर के प्रमुख चौक चौराहों पर यातायात पुलिस जवानों की तैनाती की जाती है। मगर प्रमुख चौक चौराहों पर खड़े यातायात के जवान व्यवस्था सुधारने में कम और कमाई का जरिया बने टै्रक्टरों पर अधिक नजर रखते हैं। चौक चौराहों पर तैनात जवानों का यह जिम्मा होता है कि वे यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करें। जाम की स्थिति न लगे इसका ध्यान रखे। यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराने के बजाए ये जवान चौक चौराहों पर या तो मोबाइल में व्यस्त रहते हैं या फिर ड्यूटी पाइंट से नदारद रहते हैं। यही कारण है कि प्रमुख चौक चौराहों पर कई बार जाम की स्थिति तक निर्मित हो जाती है। चौक चौराहों से गौण खनिज परिवहन में लगे टै्रक्टरों को गुजरते देखा जा सकता है। चर्चा तो इस बात की है कि चौक चौराहों पर खड़े इन जवानों ने अपनी चाय पानी का व्यवस्था इनसे कर रखा है। प्रति टै्रक्टर 100 रुपए तक वसूलने की बात भी सामने आती है। शहर की व्यवस्ततम सड़कों पर टै्रक्टरों के दौडऩे से हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है। मगर ड्यूटी में तैनात कुछ ऐसे जवानों के कारण इन पर रोक के बजाए इन्हें परिचालन की छूट मिल जाती है। आलम यह है कि चौक चौराहों पर तैनात यातायात के जवानों की ड्यूटी का लाभ वाहन चालकों और आम लोगोंं को नहीं मिल रहा है। ऐसे में विभाग के आला अफसरों को संज्ञान लेने की जरूरत है। ताकि चौक चौराहों पर तैनात जवानों की सक्रियता टै्रफिक कंट्रोल पर बना रहे।

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