जिसे न्यायालय ने माना सिविल का मामला उसमें फिर हो गई एफआईआर, द्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप
न्यूज एक्शन। टी. पी. नगर स्थित होटल सेंटर पाइंट के विवाद में जिला पुलिस की कार्रवाई पर उंगली उठने लगी है। इस प्रकरण में एक ही मामले में दो बार एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। पूर्व में दर्ज किए गए एफआईआर में न्यायालय ने इसे सिविल का मामला बताते हुए संचालक को जमानत दिया था। ऐसे में स्पष्ट था कि इस मामले का निराकरण न्यायालय से होना था। इसके बाद भी पुन: शिकायत एवं उस पर किए गए एफआईआर को होटल संचालक ने पुलिस की इस कार्रवाई को द्वेषपूर्वक करार दिया है।
बिलासपुर अंतर्गत क्रांति नगर जैन मंदिर रोड निवासी अशोक अग्रवाल के पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए शिकायत पत्र के आधार पर सीएसईबी चौकी में होटल सेंटर पाइंट के संचालक रोशन अग्रवाल एवं दानेश अग्रवाल के खिलाफ धारा 420, 34 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। अशोक अग्रवाल के शिकायती पत्र क्रमांक पुलिस अधीक्षक/कोरबा/ रीडर-1/सामान्य/ 846/18 दिनांक 20.12.2018 उप पुलिस अधीक्षक (क्राइम) बिलासपुर से जांच उपरांत घटनास्थल कोरबा का होने से अपराध पंजीबद्ध कर जांच हेतु भेजे जाने पर यह कार्रवाई की गई है।
ज्ञात रहे कि इससे पूर्व भी होटल सेंटर पाइंट के मालिक अशोक अग्रवाल पत्नी अनिता अग्रवाल एवं होटल सेंटर पाइंट संचालक रोशन अग्रवाल के विवाद में एफआईआर दर्ज हो चुका है। पूर्व की शिकायत में संचालक रोशन अग्रवाल के खिलाफ धारा 448, 420 भादवि के तहत सीएसईबी चौकी में एफआईआर दर्ज किया गया था। पुन: इसी मामले में अशोक अग्रवाल की शिकायत पर एक बार फिर रोशन अग्रवाल के खिलाफ सीएसईबी चौकी में अपराध दर्ज किया गया है। जबकि पूर्व में दर्ज किए गए मामले में जिला न्यायालय ने इसे सिविल का मामला मानते हुए रोशन अग्रवाल को जमानत प्रदान कर दी थी। हाईकोर्ट ने भी उक्त मामले को भवन मालिक और किराएदार के बीच आपसी लेन-देन का मानते हुए इसके निराकरण कोर्ट से किए जाने का निर्देश दिया था। अब पुन: इसी मामले में एफआईआर दर्ज किए जाने को लेकर संचालक रोशन अग्रवाल ने इसे द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा है कि वर्ष 2012 से वर्ष 2014 तक दो लाख रुपए मासिक किराए पर होटल सेंटर पाइंट का एग्रीमेंट किया गया था। वर्ष 2014-15 में दो लाख 25 हजार मासिक किराए पर एग्रीमेंट हुआ था। इसके अलावा अशोक अग्रवाल को उसने होटल खरीदने 1 करोड़ 80 लाख दे दिया है। रोशन अग्रवाल का कहना है कि दो गवाहों के सामने मौखिक इकरारनामा का शपथ पत्र भी पेश कर दिया गया है। अब गवाहों को धमकाने के उद्देश्य से अशोक अग्रवाल ने पुन: शिकायत कर एफआईआर दर्ज कराने का हथकंडा अपनाया है। उनका कहना है कि मामले का निराकरण न्यायालय से होना है। अगर वास्तव में अशोक अग्रवाल एवं अनिता अग्रवाल के पास साढ़े सात लाख मासिक किराया का एग्रीमेंट है तो उसे पेश क्यों नहीं किया जा रहा है। रोशन अग्रवाल का यह भी आरोप है कि एक ही मामले में बार-बार प्रकरण बनाकर उन्हें डराने का प्रयास किया जा रहा है।