नया मंच बनाने के नाम पर कई वार्डों में गड़बड़ी, अब जांच के दायरे में

कोरबा 23 फरवरी। कांग्रेस के शासनकाल में कोरबा जिले की नगर पालिका परिषद दीपिका में मनमानी तरीके से हुए कार्यों से भले ही जनता को लाभ न हुआ हो लेकिन इनकी आड़ में कई लोगों की लॉटरी निकल गई। ऐसे कार्यों में मनपसंद ऐसे गायब हो गए जैसे गधे के सर से सींग। अब प्रदेश में भाजपा की सरकार होने और नगर पालिका में भाजपा के अध्यक्ष बनने से ऐसा लग रहा है कि पुराने कार्यों की जांच का रास्ता साफ हो सकता है। ऐसा हुआ तो गड़बड़ी करने वालों के सामने दुश्वारियां पैदा हो सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार पिछले 5 साल में कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान नगरी निकायों में गड़बड़ी और मनमानी चरम सीमा पर रही और सारे नियम कायदों को ताक पर रखते हुए विभिन्न प्रकार के कामकाज किए गए। नगर पालिका परिषद दिपक को लेकर जो जानकारी मिली है उसमें कहां गया कि यहां पर विभिन्न वार्डों में जन आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए सार्वजनिक मंच बनाए गए थे। पहले इन पर जो टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था उसे न कही बताते हुए बाद में तोड़ दिया गया। इसमें प्रयुक्त की गई लोहे की सामग्री कहा गई इसे लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े होते रहे। फिर कहां गया कि नए सिरे से जो मंच तैयार किए गए हैं उसमें चौनल गेट से लेकर अन्य सामान लगा दिए गए। दावे अपनी जगह पर हैं और सच्चाई अपनी जगह पर।
सूत्रों ने बताया कि नगर पालिका परिषद के वार्ड क्रमांक 14 सहित अनेक वार्ड में इस प्रकार के मंच बनाए गए थे जिन्हें तोड़ दिया गया और दोबारा निर्माण के लिए टेंडर की प्रक्रिया कराई गई। इसके लिए तरीके ऐसे अपनाएं गए ताकि कांग्रेस के कार्यकर्ता और यहां पर ठेकेदारी करने वाले लोगों को भली भांति उपकृत किया जा सके। पिछले कई वर्ष से यहां पर कार्यरत इंजीनियर प्रियदर्शनी सोनी ने तकनीक स्तर पर ऐसे लोगों का भरपुर सहयोग किया। ऐसे कार्यों को करने से लेकर सत्यापन के बाद भुगतान करने में बड़ी सहूलियत होती है। काम करने वाले से लेकर एजेंसी और अधिकारी संबंधित तथ्यों को भली भांति जानते हैं। जानकारी मिली है कि नगर पालिका परिषद दीपिका क्षेत्र में विभिन्न स्थान पर तोड़े गए पुराने मंच के चौनल गेट और टीना टप्पर या तो रहस्यमय तरीके से पार हो गए। कुछ मामलों में कहा गया कि डेंटिंग पेंटिंग करने के साथ इन्हें दूसरी जगह पर लगा दिया गया और नए के नाम से बिल बना लिए गए। पिछले 5 साल में इस प्रकार के कार्यों में नगर पालिका के द्वारा कांग्रेसी ठेकेदारों सहित दूसरे लोगों को मनमानी तरीके से धनराशि का भुगतान कर दिया गया। निकाय में परिवर्तन के बाद ऐसे मामले जांच के घेरे में आ गए हैं।
सरकार ने अधिकारी कर्मचारियों के तबादले के मामले में नियम कानून बना रखे हैं लेकिन ऐसा लगता है कि नगर पालिका परिषद दीपिका में इसका परिपालन नहीं हो रहा है। इंजीनियर प्रियदर्शनी सोनी की पदस्थापना 7 वर्ष से यहां पर है और इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को है। अलग-अलग मौके पर प्रशासनिक व अन्य कारण से कर्मियों के तबादले किए जाते हैं लेकिन पता नहीं किस वजह से स्थानीय इंजीनियर को लेकर कोई सुध नहीं ली जा रही है।