डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी
वाशिंगटन 1 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ब्रिक्स देशों को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर डॉलर में कारोबार करने को हतोत्साहित किया या डॉलर को किसी दूसरी मुद्रा से स्थानांतरित करने की कोशिश की तो अमेरिकी बाजार के दरवाजे उनके लिए बंद कर दिए जाएंगे। यह पिछले एक महीने में ब्रिक्स संगठन को ट्रंप की दूसरी चेतावनी है। वैसे भारत ने शुक्रवार को यह फिर स्पष्ट किया कि ब्रिक्स देशों के बीच अपनी मुद्रा में कारोबार करने को लेकर कोई सोच नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पहले ही यह बात कही है और रूस राष्ट्रपति पुतिन भी ऐसा ही बयान पहले दे चुके हैं। भारत और रूस के लिए चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के अहम सदस्य देश हैं। पिछले वर्ष मिस्त्र, यूएई, इंडोनेशिया, ईरान, इथियोपिया को भी इसका सदस्य बनाया गया है।ट्रंप ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म द्रुथ सोशल पर लिखा, डॉलर से बाहर निकलने की ब्रिक्स देशों की कोशिशों को चुपचाप देखने का समय अब खत्म हो गया है।
हम इन शत्रुतापूर्ण दिखाई देने वाले देशों से यह प्रतिबद्धता चाहते हैं कि ना तो वह ब्रिक्स करेंसी का निर्माण करेंगे और ना ही डॉलर को स्थानांतरित करने की कोशिश करेंगे। अगर वह ऐसा करते हैं तो उन पर सौ प्रतिशत शुल्क लगाया जाएगा और उन्हें अमेरिका की शानदार अर्थव्यवस्था में कोई भी उत्पाद बेचने नहीं दिया जाएगा।
वह इसके लिए किसी दूसरे देश का चुनाव कर सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर का स्थान ले सकते हैं। अगर वस्तुस्थिति की बात करें तो अक्टूबर 2024 में रूस के कजान शहर में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में कहीं भी ब्रिक्स मुद्रा की बात नहीं है। हालांकि सभी सदस्य देशों में इस बात की सहमति है कि वह आपसी मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा देंगे।
इसके पहले जब रूस-यूक्रेन विवाद चरम पर था तब पुतिन ने ब्रिक्स देशों को डॉलर से अलग होने का आह्वान किया था। जून, 2024 में ब्रिक्स के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी स्थानीय मुद्रा में कारोबार करने को प्रोत्साहन देने की बात हुई थी। अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए तो पिछले एक हफ्ते में दूसरा मौका है कि ट्रंप ने परोक्ष तौर पर भारत को ज्यादा शुल्क लगाने की धमकी दी है। इस बार तो उन्होंने भारत को शत्रुतापूर्ण देशों की कतार में खड़ा कर दिया है।