सड़क सुरक्षा अभियानः ट्रैक्टर में लोड मिक्सर मशीन, हो रहा सफर
केवल फिटनेस जांच तक सीमित है परिवहन विभाग
कोरबा 22 जनवरी। 42 वा सडक सुरक्षा मांह 31 जनवरी तक मनाया जा रहा है। इस दौरान विभिन्न कार्यक्रम करते हुए लोगों को बताने की कोशिश की जा रही है कि सडक पर चलने के दौरान किस प्रकार से नियम कानून का पालन करना जरूरी है और उपेक्षा करने के क्या नतीजा हो सकते हैं। लगातार जागरूकता का वातावरण निर्माण करने के बावजूद कोरबा जिले में नियम तोडने के उदाहरण सामने आ रहे हैं। कोरबा उरगा रोड पर कुछ लोगों को दोस्त साहसिक अंदाज में देखा गया जो ट्रैक्टर पर लोड मिक्सर मशीन में चढकर सफर करते नजर आए। अपनी तस्वीर कैमरे में कैद होने पर ट्रैक्टर चालक और लोगों ने सफाई दी कि इस प्रकार का काम पहली बार किया गया है।
1 जनवरी से 31 जनवरी तक कोरबा जिले में ट्रैफिक पुलिस अभियान चल रही हैं जिसके अंतर्गत स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और चौक चौराहों पर कैंपेन करते हुए लोगों को बताने की कोशिश की जा रही है कि ट्रैफिक रूल्स उनके लिए क्यों जरूरी है और जरा सी भी मनमानी किस कदर महंगी पड़ सकती है। अभियान के अलग-अलग सोपान में पूरा फोकस इसी बात पर है कि ट्रैफिक रूल्स वाहन चालकों के साथ-साथ लोगों के लिए काफी मायने रखते हैं और उन्हें हर हाल में इसका पालन करना है । लेकिन बहुत सारे लोगों को ऐसे अभियान से कोई लेना-देना नहीं है और वह अपनी मनमानी पर उतारू है। जिले में बढ़ते सडक हादसों को रोकने यातायात पुलिस द्वारा सडक सुरक्षा माह चलाया जा रहा है,जहां पुलिस द्वारा अभियान चलाकर लोगों से यातायात नियमों का पालन करने की अपील की जा रही है। इतना ही नहीं कार्रवाई का डंडा भी चलाया जा रहा है। बावजूद इसके नियमों का उल्लंघन करने से बाज नहीं आ रहे है।
कोरबा-उरगा मार्ग पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला जहां पर मिक्चर मशीन को ट्रेक्टर से जोड़ दिया गया ,और उस पर लोगों को बिठाकर परिवहन किया जा रहा है,जिससे हादसों की आशंका काफी बढ़ गई है। मीडिया ने इस नजारे को देखा और इसके वीडियो तैयार करने के साथ गाड़ी को रुकवाया। ट्रैक्टर चला रहे चालक और उसमे बैठे लोगों से इस बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने उदासीनता से भरा जवाब दिया। उनका तर्क था कि पास में ही काम करने जा रहे हैं इसलिए दूसरी गाड़ी की सवारी करने का मतलब रुपए खर्च करना है इसलिए मजदूरों को मिक्सर मशीन में ही बैठा लिया गया है। क्या ऐसा करना जोखिम से भरा नहीं है? यह पूछने पर मजदूरों का जवाब था- उनके लिए यह नई बात नहीं है बल्कि वे जहां कहीं भी काम करने जाते हैं यही तरीका अपनाते हैं। ऐसा करने से समय बच जाता है और रुपए भी। लेकिन इतना जरूर है कि इस तरह के सफर में जोखिम तो रहती है और फिर डर भी बना रहता है कि कोई पीछे से आकर ठोक ना दे। बातचीत के दौरान लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि इस प्रकार की हरकतें उचित नहीं ठहराए जा सकती लेकिन वह मजबूरी बस ऐसा करते हैं। लोगों ने यह भी बताया कि कई बार मुख्य मार्ग पर चलने के दौरान हादसे हो चुके हैं और इसकी उन्हें जानकारी है। कोरबा जिला सडक हादसों की नगरी बन चुका है। जहां रोजाना होने वाले हादसों में लोग हताहत हो रहे है,यही वजह है,कि यातायात पुलिस सडक सुरक्षा माह चलाकर लोगों को यातायात नियमों का पाठ पढ़ रही है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। बावजूद इसके लोग नियमों का पालन करने को लेकर गंभीर नहीं है।
4 महीने पहले कवर्धा जिले में पिक अप में 25 से अधिक लोग सफर कर रहे थे जिनमें 9 पहाड़ी कोरबा की दुर्घटना में मौत हो गई थी। चढ़ाई वाले रास्ते पर आवागमन के दौरान पिकअप खाई में गिर गया था। इस घटना के बाद प्रदेश भर में अभियान चलाया गया था और भारी वाहनों में यात्रियों को लाने ले जाने पर कार्रवाई की गई थी। 15 दिन तक अभियान चलाने और पेनाल्टी करने के बाद सब कुछ ठंड पड़ गया। कोरबा जिले में परिवहन विभाग का यही हाल है जो मौका देखकर इस प्रकार के मामलों में कार्रवाई करता है। लोगों को याद है कि शैक्षणिक सत्र शुरू होने और बीच में कुछ मौका पर परिवहन विभाग स्कूल बसों और अन्य गाडियों की फिटनेस जांच करने के लिए कैंपेनिंग करता है और भारी भरकम पेनल्टी वसूल करता है। उसके बाद जिले में क्या कुछ चल रहा है इससे उसे कोई मतलब नहीं रहता है।