सही सलाह और साहसिक निर्णयः ललिता की आँखों की समस्या पर विजय
सही समय पर लिए ऑपरेशन के निर्णय से
ललिता की आँखों को मिली नई रोशनी’
कोरबा 09 दिसंबर। सही सलाह और सही समय पर लिया गया निर्णय जीवन को बेहतर बना सकता है। आज मैं अपने जीवन में खुश और संतुष्ट हूँ, और मैं चाहती हूँ कि मेरी जैसी महिलाएं भी कभी हिम्मत न हारें और अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें।
ये कहना है विकासखण्ड करतला के ग्राम सिनमार की रहने वाली श्रीमती ललिता बाई का। जिन्होंने धुंधली दृष्टि से निजात पाने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराकर अपने जीवन को आसान और खुशहाल बनाया है।
ललिता का मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने का निर्णय उसके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इसके बाद उसे ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी मिली और उसकी आँखों की समस्या का समाधान हो सका। ललिता बताती है कि उसके जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उसे अपनी आँखों से कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं देता था। उसकी यह समस्या इतनी बढ़ गई थी कि उसे घरेलू कामकाज करने में काफी परेशानी होने लगी थी। वह दीवार का सहारा लेकर घर का काम करती थी। दिन-प्रतिदिन उसकी यह समस्या उसके लिए और भी कठिन होती जा रही थी। ललिता ने बताया कि गर्भवती होने के बावजूद उसे इस बात की चिंता सता रही थी कि प्रसव के बाद वह अपने बच्चे की देखभाल कैसे करेगी, अगर उसकी आँखों की समस्या और बढ़ गई तो क्या होगा। उसकी धुंधली दृष्टि के कारण उसे घर के कामकाज में भी कठिनाई हो रही थी। वह दीवार पकड़कर चलती थी, और यह सोचकर बहुत परेशान रहती थी कि अगर उसकी आँखों की हालत और बिगड़ गई, तो उसे अपने बच्चे की देखभाल में कठिनाई होगी। इस बात की चिंता और डर ने उसे अंदर से बहुत परेशान कर दिया था। वह सोचती थी कि यदि उसकी आँखों का सफल ऑपरेशन न हुआ और उसकी समस्या और बढ़ी, तो न सिर्फ उसका जीवन कठिन हो जाएगा, बल्कि उसके बच्चे की देखभाल और परिवार के लिए जिम्मेदारियों को निभाना भी मुश्किल हो जाएगा। हर दिन इस चिंता में डूबे रहने और मानसिक तनाव के कारण वह शारीरिक रूप से कमजोर होती जा रही थी।
ललिता की इस मानसिक स्थिति को देखकर गांव की मितानिन, श्रीमती रामप्यारी राठिया ने उसे समझाया और सुझाव दिया कि वह जिला चिकित्सालय कोरबा जाकर अपनी आँखों की जांच कराए। मितानिन ने ललिता को बताया कि समय पर इलाज से उसकी समस्या का समाधान हो सकता है, और उसे ऑपरेशन से डरने की जरूरत नहीं है। शुरुआत में ललिता को ऑपरेशन का भय था और वह इसे नकार रही थी। उसे यह डर था कि ऑपरेशन के बाद शायद ज्यादा तकलीफ हो, या कोई और समस्या उत्पन्न हो जाए। इस डर के कारण उसने मितानिन के सुझाव को तुरंत नहीं माना और इलाज कराने का विचार टाल दिया। लेकिन मितानिन की बार-बार समझाइश और समर्थन ने ललिता को साहस दिया। उसने अपनी चिंताओं को नकारते हुए, अंततः निर्णय लिया और जिला चिकित्सालय में आँखों की जांच कराने गई। चिकित्सालय में नेत्र रोग विशेषज्ञ ने मेरी आँखों की पूरी जांच की और मुझे बताया कि मेरी आँखों की धुंधली दृष्टि को सुधारने के लिए एक ऑपरेशन की जरूरत है। वह मुझे ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी देने के बाद मेरी चिंताओं को भी दूर करने लगे। डॉक्टर की सलाह मानकर ऑपरेशन करवा लिया।
ऑपरेशन के बाद ललिता की आँखों की दृष्टि पूरी तरह से सामान्य हो गई। अब वह आसानी से देख सकती है। उसकी जिंदगी पहले से कहीं आसान हो गई है। अब वह घर के सारे काम ठीक से कर रही है और अब अपने बच्चे की देखभाल भी अच्छे से कर पाती हूँ। ललिता की यह यात्रा इस बात का उदाहरण है कि कभी-कभी हमें अपने डर और संकोच को पार कर, सही समय पर इलाज करवाना चाहिए, ताकि हम अपनी समस्याओं को हल कर सकें और एक स्वस्थ जीवन जी सकें।