ढोल-मृदंग और शंख नाद के बीच हुई महाआरती

कोरबा 16 नवम्बर। देव दिवाली के अवसर पर सर्वमंगला घाट में उस समय बनारस की गंगा आरती जैसा माहौल बन गया जब हजारों की भीड़ में हसदेव की महाआरती में शामिल होने शहर के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। शंखनाद और वेद मंत्रों के उच्चारण के बीच हुई पूजा-आराधना ने मानव सभ्यता के विकास में नदी के अस्तित्व का एहसास कराया। साथ ही नदी की स्वच्छता में जन-मन की भागदारी को भी प्रेरित किया।

हिंदू क्रांति सेना के तत्वावधान में शुक्रवार को शहर के सर्वमंगला घाट में हसदेव नदी की महाआरती का आयोजन किया गया। पुण्यदायनी इस आयोजन को लेकर सनातन धर्मावलंबियों में खासा उत्साह देखा गया। आरती का साक्षी बनने शहर के अलावा उपनगरीय क्षेत्र के श्रद्धालु उमड़ पड़े। हसदेव सर्वमंगला घाट में लोगों का तांता ऐसा लगा रहा मानो बड़ा मेला लगा हो। तट को जगमग करने के लिए नदी में 11,000 दीप प्रज्वलित किए गए। घाट को पीले रंग के पट्टिका युक्त खंभों से सजाया गया था। घाट के सात स्थलों पर वेदी बनाई गई थी। जिसके सामने ब्राह्मणों ने खड़े होकर नदी की महाआरती की। ढोल-मृदंग और शंख नाद के बीच हुई आरती ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। लेजर और विद्युत लाईट से पूरा घाट चकाचौंध रहा।

शाम के समय से ही भजन संध्या की प्रस्तुति से वातावरण भक्तिमय रहा। पुण्य आयोजन में शामिल होने के लिए हिंदू क्रांति ने सनातन धर्म के संरक्षक समस्त नगरवासियों को आमंत्रित किया था। आयोजन समिति के सदस्यों ने बताया कि नदी की महाआरती में लोगों की सहभागित इस आयोजन के सफलता को दर्शाती है। महाआरती के माध्यम से लोगों में नदी की स्वच्छता और अस्तित्व को संरक्षण देने की दिशा में जागृति आएगी। यातायात व्यवस्था न बिगड़े इसलिए पुलिस ने दोपहर दो बजे से ही सर्वमंगला पुल मुख्य मार्ग पर भारी वाहनों को रोक दिया था। साथ ही कई मार्ग परिवर्तित कर दिए गए थे।
आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की आस्था उस समय उत्कर्ष पर रही जब नदी में दुग्ध अभिषेक किया गया। 51 लीटर दूध से किए गए अभिषेक से नदी की धारा दीप की रोशनी दुधिया हो गई। इस क्षण में सहभागी बनने क लिए लोग अपने घरों से न केवल आरती की थाल सजाकर लाए थे बल्कि नदी का अभिषेक करने के लिए दूध भी लेकर पहुंचे। महाआरती में महानदी मइया को 51 मीटर चुनरी का चढ़ावा आकर्षण का केंद्र रहा।

नदी को देवी का स्वरूप मानते हुए तट पर हसदेव मइया की प्रतिमा स्थापित की गई। महाआरती के पहले मंत्रोच्चार से देवी की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रतिमा को चारों तरफ से दीप की कतारों से सजाया गया था। देवी को चुनरी चढ़ाने से पहले प्रदक्षिणा के दौरान उसे थामने लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। एक ओर दीप प्रज्वलित किए जाने से सर्व मंगलाघाट जगमग हुई वहीं आतिशबाजी से आकाश चकाचौंध रहा। सतरंगी विद्युत रोशनी ने उत्सव में रंग भर दिया। नदी तट में दीप कतार को प्रज्वलित करने के लिए लोगों ने बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई। रंगोली और पुष्प सज्जा के बीच कलश स्थापित की गई थी।

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