सीएमडी ने गेवरा माइंस का लिया जायजा, उत्पादन और डिस्पैच बढ़ाने दिया निर्देश

कोरबा 11 नवम्बर। खदानों के निगेटिव ग्रोथ ने कंपनी प्रबंधन की चिंताएं बढ़ा दी है। जिसे लेकर आला अधिकारी लगातार खदानों का दौरा कर रहे हैं। इस कड़ी में सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा गेवरा खदान पहुंचे। सभी पैच में पहुंचकर खनन गतिविधियों का जायजा लिया। उत्पादन एवं डिस्पैच में वृद्धि पर जोर दिया।

शनिवार को एसईसीएल सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा गेवरा खदान के दौरे पर पहुंचे। दौरे के दौरान उन्होंने खदान के सभी पैच में जाकर कोयला खनन एवं ओबीआर कार्यों का विस्तृत निरीक्षण किया। गेवरा टीम से चर्चा करते हुए उन्होंने खदान के परफॉर्मेंस की समीक्षा की। उन्होंने आने वाले महीनों में इस वर्ष के लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन एवं डिस्पैच में वृद्धि लाने के लिए टीम को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। ज्ञात रहे कि चालू वित्तीय वर्ष के अक्टूबर महीने में एसईसीएल ने पूरी ताकत झोंकने के बाद 12.4 मिलियन टन कोयला खनन किया है। यह खनन अक्टूबर 2023 में किए गए खनन से 1.6 मिलियन टन कम है। पिछले वर्ष इसी माह में कंपनी ने 14 मिलियन टन कोयला खनन किया था। इस तरह कंपनी के उत्पादन में 11.1 फीसदी की नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है। कोयला खनन में यह गिरावट पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा देखी जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में कंपनी ने अप्रैल से अक्टूबर तक यानि वित्तीय वर्ष के सात महीने में 43.9 मिलियन टन कोयला खनन किया है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने अप्रैल से अक्टूबर के बीच 91.7 मिलियन टन खनन किया था। यहां भी 8.6 फीसदी नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है। यह नेगेटिव ग्रोथ न सिर्फ उत्पादन में बल्कि कोयला परिवहन में भी दर्ज किया जा रहा है। इससे कंपनी की चिंता बढ़ गई है।

अक्टूबर के महीने में कोयला लदान में पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 13.8 फीसदी का नेगेटिव ग्रोथ दर्ज किया गया था। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी एसईसीएल नेगेटिव ग्रोथ से पीछा नहीं छुड़ा पा रही है। अक्टूबर महीने में कोयला उत्पादन में 11.1 फीसदी नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है। इससे कोयला कंपनी की चिंता बढ़ गई है। यह नेगेटिव ग्रोथ पिछले साल इसी अवधि की तुलना में भी ज्यादा है। रविवार 10 नवंबर को सीएमडी डॉ प्रेम सागर मिश्रा ने गेवरा मेगाप्रोजेक्ट के आरएलएस (रैपिड लोडिंग सिस्टम) लक्ष्मण का दौरा किया। दौरे के दौरान उन्होंने आरएलएस में डिस्पैच व्यवस्थाओं का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने टीम से चर्चा करते हुए आरएलएस के कार्यसंचालन की समीक्षा की एवं उपभोक्ताओं को सुचारू रूप से कोल डिस्पैच के लिए आवश्यक दिशानिर्देश दिए।

पर्यावरण-हितैषी कोल डिस्पैच को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एफएमसी (फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी) के तहत बनाए गए गेवरा रैपिड लोडिंग सिस्टम (आरएलएस) परियोजना हर वर्ष 20 मिलियन टन कोयला डिस्पैच करने में सक्षम है। रैपिड लोडिंग सिस्टम में जहां 8 हॉपरयुक्त ट्रक रिसीविंग स्टेशन है वहीं इसके तहत बनाए गए बंकर की क्षमता लगभग 30,000 टन है। यह बंकर प्रति घंटे 4,500-5,500 टन कोयला रेल रैकों में लोड करने की क्षमता रखता है।

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