हाथियों का दो दल जिले से बाहर, ड्रोन कैमरे से हो रही निगरानी
कोरबा 25 अक्टूबर। जिले के कोरबा एवं कटघोरा वनमंडल अंतर्गत स्थित गांव में उत्पात मचाकर ग्रामीणों एवं वन विभाग को परेशान करने वाले हाथियों का दो दल सूरजपुर व धरमजयगढ़ चला गया है जबकि 49 हाथियों का दल अभी भी कटघोरा वनमंडल के एतमानगर वन परिक्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं जिनकी निगरानी वन विभाग द्वारा लगातार ड्रोन कैमरे व मैदानी अमले के जरिए की जा रही है।
जानकारी के अनुसार कटघोरा वनमंडल के केंदई रेंज में 11 हाथियों का दल सरगुजा के जंगलों से पहुंचा था। हाथियों का यह दल तीन दिनों तक क्षेत्र में उत्पात मचाकर ग्रामीणों की खेतों में लगे धान की फसल को नुकसान पहुंचा रहा था जिससे वन विभाग के साथ-साथ ग्रामीण भी हलाकान थे। हाथियों का यह उत्पाती दल सूरजपुर के जंगलों में पहुंच गया है। हाथियों के दीगर जिले में जाने से ग्रामीणों एवं वन विभाग ने राहत की सांस ली है।
इसी तरह कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में भी धरमजयगढ़ क्षेत्र से 10 हाथी पहुंच गए थे जो जिल्गा के जंगल में डेरा डालकर दिन भर विश्राम करते थे और रात में ग्रामीणों की खेतों में पहुंचकर धान की फसल को मटियामेट कर देते थे। हाथियों का यह दल लोनर को छोडकर वापस धरमजयगढ़ का रूख कर लिया है। दल से अलग हुए लोनर हाथी अब कलमीटिकरा परिसर पहुंच गया है। इसे आज सुबह यहां के जंगल में विचरण करते हुए देखा गया। इसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा दिए जाने पर वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचकर लोनर की निगरानी में जुट गया है जहां हाथियों का दो दल दीगर क्षेत्रों में चला गया है वहीं 49 हाथियों का दल एतमानगर जंगल में विचरण कर रहा है।
हाथियों के इस दल ने बीती रात कोई बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाया लेकिन खेतों में पहुंचकर वहां लगे धान की फसल को रौंद डाला है जिससे ग्रामीणों को काफी क्षति उठानी पड़ी है। हाथियों के इस क्षेत्र में लंबे समय से जमे रहने से ग्रामीण परेशान हैं। खबरों के मुताबिक हाथियों का यह दल कभी एतमानगर पहुंच जाता है तो कभी पसान जटगा व केंदई क्षेत्र में ग्रामीणों की फसल को लगातार हाथी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। हाथी समस्या से परेशान ग्रामीणों द्वारा समस्या के स्थाई समाधान तथा क्षतिपूर्ति राशि को बढ़ाए जाने की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन भी किया गया लेकिन अधिकारियों द्वारा सिवाय आश्वासन देने के अलावा कोई खास कदम नहीं उठाया गया जिससे समस्या यथावत बनी हुई है। ग्रामीण अब बड़ा आंदोलन की मानसिता बना रहे हैं।