बिना नंबर के सैकड़ों ट्रैक्टर के जरिए किया जा रहा अवैध खनन व परिवहन

कोरबा 23 अक्टूबर। भले ही हर मामले को लेकर कई प्रकार के नियम-कानून बने हैं लेकिन कोरबा जिले में बहुत सारे कामकाज मनमाने तरीके से चल रहे हैं और वह भी प्रशासन की आंखों के सामने। हसदेव, अहिरन, तान और सोन नदी से रेत तस्करी और परिवहन का काम लंबे समय से जारी है। शहरी क्षेत्र में हद यह है कि बिना नंबर के ट्रैक्टर इस काम में लगे हैं और सिस्टम की चुगली कर रहे हैं। यह काम किसके संरक्षण से चल रहा है इसकी पुष्टि नहीं हुई है लेकिन सवाल तो उठ रहे हैं।

15 अगस्त से 15 अक्टूबर तक नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल के द्वारा सभी क्षेत्रों में रेत खनन पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस दौर में भी जब नदियों में पानी की मात्रा काफी होती है, तब भी कोरबा जिले में रेत तस्करी के काम में संलिप्त गैंग ने अपनी जबरदस्त भूमिका निभाई और यह साबित कर दिया कि उसे न तो किसी का खौफ है और न किसी से लेना-देना। उनका काम पहले भी चलता रहा है और अब भी यंू ही चलता रहेगा। प्रशासन के द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार कोरबा जिले के लिए भले ही विभिन्न नदी-नालों से रेत खनन के लिए पार्टियों को अनुज्ञप्ति जारी की गई है लेकिन सूत्र बताते हैं कि इन्हें आवंटित लीज एरिया के मुकाबले बड़े हिस्से से अवैध खनन और परिवहन का काम दूसरे लोग कर रहे हैं। कहा जाता है कि सत्ता और विपक्ष के कुछ नेताओं का संरक्षण इन्हें अघोषित रूप से मिला हुआ है। ऐसे में किसी प्रकार की कार्रवाई करने को लेकर मानसिकता नहीं बनाई जा रही है। आलम यह है कि सुबह से लेकर रात तक रेत खनन और परिवहन का यह सिलसिला बदस्तूर बना हुआ है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि परिवहन के काम में सैकड़ों की संख्या में नियोजित बिना नंबर के टै्रक्टर रेत तस्करों के लिए वरदान बने हुए हैं। नियमित रूप से ऐसे वाहनों को अवैध परिवहन करते हुए शहर और उपनगर की सडकों पर देखा जा रहा है। लेकिन ये अब तक परिवहन विभाग से लेकर माइनिंग और ट्रैफिक पुलिस की नजर से ओझल हैं।

रेत की चोरी जिस हिसाब से कोरबा जिले की नदियों से हो रही है उसे लेकर कहा जा रहा है कि प्रतिदिन हजारों क्यूबिक मीटर रेत की अवैध निकासी के जरिए सरकार को बड़ी चपत लगाई जा रही है। तस्करों को बिना रायल्टी का भुगतान किए रेत मिल रही है और वे दूसरों की आवश्यकता को पूरा कर मोटी कमाई कर रहे हैं। उनकी हरकतों से यह भी स्पष्ट हो रहा है कि सरकार चाहे किसी की हो लेकिन उनके अवैध काम को कोई भी नहीं रोक सकता।

रेत चोरी के काम में काफी संख्या में बिना नंबर के वाहनों का सतत उपयोग होना दर्शाता है कि तस्करों की गैंग सरकारी तंत्र पर हावी है। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को अवैध रूप से चलने वाले सभी प्रकार के वाहनों पर नजर रखने के साथ कार्रवाई करने के न केवल निर्देश मिले हैं बल्कि शक्तियां भी प्राप्त हैं। इतना सब कुछ होने पर भी रेत परिवहन से जुड़ी हुई गाडियां उसे नहीं दिख रही हैं। यह बात अलग है कि समय-समय पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और स्कूल, कॉलेज की बसों की फिटनेस जांच के साथ पेनाल्टी लगाने का काम यह विभाग जरूर करता है।

अलग-अलग काम को लेकर प्रशासन ने संबंधित विभागों के अमले को जिम्मेदारी दे रखी है। सामान्य और त्योहारी सीजन में विभिन्न चौराहों पर पुलिस के साथ-साथ ट्रैफिक का अमला ड्यूटी करता है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसे क्षेत्रों से होकर रेत लोड गाडियां अक्सर गुजरती हैं। व्यवस्था पर नजर रखने के लिए हर तरफ पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे लगा रखें हैं जो यूनिफाइड कंट्रोल रूम से सीधे कनेक्टेड हैं। सवाल उठता है कि क्या बिना नंबर की गाडियां पुलिस कर्मियों और सीसीटीवी के निगाह में दृष्टिगोचर नहीं होती।

लगातार की जा रही पेनाल्टी
नियमों के अंतर्गत जिले में मुख्य और गौण खनिज के खनन से लेकर परिवहन पर ध्यान दिया जा रहा है। मनमानी और लापरवाही को लेकर संबंधित प्रकरणों में लगातार जब्ती और पेनाल्टी की कार्रवाई की जा रही है। अप्रैल से अब तक ऐसे अनेक मामले बनाए गए हैं।
खनिज अधिकारी, कोरबा

Spread the word