गांव में वाटरशेड समिति का गठनः श्रमदान कर ग्रामीणों ने बदली अपनी किस्मत

कोरबा 22 अक्टूबर। कोरबा-चांपा मार्ग में स्थित मड़वारानी पहाड़ और आसपास की छोटी पहाडियों से बहकर बरसात का पानी पूरी तरह से बर्बाद हो जाता था। ऐसे में ग्राम तिलाईडांड, महोरा और चकोरा जैसे ग्राम के खेत सूखे रह जाते थे। यह क्षेत्र सरकारी रिकॉर्ड में भी असंचित और सूखाग्रस्त था। जमीन बंजर थी, किसान चाहकर भी यहां कोई फसल नहीं उगा पा रहे थे, ऐसे में एक रिटायर्ड शिक्षक ने जमीनों की तकदीर बदलने की ठानी।

गांव में वाटरशेड समिति का गठन कर खुद इसके अध्यक्ष का दायित्व संभाला। मड़वारानी पहाड़ से बहकर पानी को रोकने के लिए नाले बना पानी को इकऋा किया। इन ग्रामीणों के काम को देखकर नाबार्ड ने वाटरशेड समिति के प्रस्ताव को हरी झंडी दी।वित्तीय सहायता भी दी। अब ग्राम में स्टॉप डैम बन गया है। जो जमीन, खेत कभी बंजर हुआ करते थे, अब वह उपजाऊ बन चुके हैं। किसान यहां अब दोहरी फसल उगा रहे हैं। ग्राम में इस बदलाव की शुरुआत 2016-17 में हुई। लगभग 8 वर्षों से शिक्षक नंदलाल ग्राम में बनी वाटरशेड समिति के अध्यक्ष हैं। उस समय ग्राम सूखाग्रस्त था, जमीन बंजर थी। जिसे उपजाऊ बनाने के लिए मिट्टी के मेढ़ और नाले का निर्माण किया गया। दरअसल नाबार्ड ग्रामीणों की सहायता तभी करती है, जब वहां कोई समिति काम करे और वह समिति पूरी तरह से सक्रिय रहे। किसान समिति बनाकर खुद ही श्रमदान करने के लिए सक्षम हों और जिम्मेदारी से काम करें। ग्राम में रिटायर्ड शिक्षक ने सामाजिक संस्थाओं की सहायता से समिति का निर्माण किया।

ग्रामीणों और किसानों को एकजुट किया। श्रमदान करने के बाद प्रस्ताव नाबार्ड को भेजा गया। ग्रामीणों के काम को देखकर नाबार्ड ने 100 हेक्टेयर को संचित करने की स्वीकृति दी। अब ग्राम तिलाईडांड में स्टाप डैम बनने के बाद अब यहां के आसपास के गांव को भी सिंचाई की सुविधा मिल रही है। तिलाईडांड की वाटरशेड समिति में करताना ब्लॉक के ग्राम माहोरा, चकोरा और चिचोली भी शामिल हैं, जहां जल ग्रहण योजना के काम प्रस्तावित हैं। फिलहाल तिलाईडांड के लगभग 70 एकड़ खेत संचित हो चुके हैं। किसान अब अपने खेत में किसी न किसी फसल को उगा रहे हैं। किसी किसान ने अपने खेत में धान उगाए हैं, जो अब पकने के कगार पर है। एक समय था जब इस समय तक धान सूख जाते थे, या पैदा ही नहीं होते थे। धान के साथ ही किसानों ने टमाटर, भिंडी और करेले के सब्जी भी उगाई हैं।

Spread the word