बीटीएस प्रणाली रोकेगा रास्ते में होने वाली कोयला की अफरा-तफरी
कोरबा 22 अक्टूबर। खदान से कोयला लेकर निकली गाड़ियों का प्लांट, कोल साइडिंग या कोल वाशरी तक जाने का रास्ता तय होता है। वहीं ट्रांसपोर्ट कंपनियों की इन गाड़ियों के माध्यम से कोयले में मिलावट कर हेराफेरी व चोरी के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। इन्हें पकड़ने के लिए कई तरीके अपनाने के बाद भी शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिल रही थी। अब कोयला चोरी और मिलावट रोकने के लिए बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) सिस्टम को कारगर माना जा रहा है।
कोल इंडिया की साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) कंपनी इस सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है। कंपनी के 13 एरिया में अब तक 1200 से अधिक ट्रांसपोर्टिंग में लगे वाहनों को ट्रेकिंग सिस्टम से लैस किया जा चुका है। वाहनों में कंपनी से लग कर आने वाली जीपीएस के साथ एसईसीेएल अब अपनी अलग बीटीएस लगा रही। इससे वास्तविक समय पर वाहनों की निगरानी की जा रही है। वाहन के रूट बदलते ही पता चल जाएगा। किसी भी वाहन को ट्रैकिंग सिस्टम से लैस किए बिना खदान में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। अभी हाल ही में दीपका कोयला खदान से कोयला लेकर रवाना हुए चार ट्रेलर से अच्छा कोयला रास्ते में अवैध डिपो में उतार लिए गए और उसकी जगह चूरा व पत्थर मिला दिया गया। संबंधित कंपनी में परीक्षण के दौरान इसका पता चला और थाने में शिकायत की गई।
कोयले की अफरातफरी का अपराध पंजीबद्ध कर चालक की गिरफ्तारी की गई। इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं। इससे निपटने अब यह कवायद की जा रही। पहले ही खदानों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा चुके हैं, फिर वह चाहे चेकपोस्ट है या मेनगेट। सभी तरफ निगरानी की जा रही।