दो लाख 71 हजार क्यूबिक मीटर राख गायब, पांच करोड़ का लगाया चूना
परिवहन में गड़बड़ी, बोगस बिल के भुगतान की आशंका
कोरबा 21 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ विद्युत उत्पादन कंपनी (सीएसपीजीसीएल) के हसदेव ताप विद्युत संयंत्र व डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत संयंत्र (डीएसपीएम) के राखड़ बांध से राख परिवहन में गड़बड़ी का मामला सामने आया है। तीन माह में दोनों संयंत्र के राखड़ डैम से निकले राख व खदान में पहुंचने वाले राख की मात्र में दो लाख 71 हजार 166 क्यूबिक मीटर का अंतर है। परिवहन का कार्य करीब आधा दर्जन ट्रांसपोर्ट कंपनियों को दिया गया था। बोगस बिलिंग कर करीब पांच करोड़ रुपये का चूना कंपनी को लगाए जाने की आशंका जताई जा रही है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वर्ष 2029 तक देश भर के बिजली संयंत्रों के राखड़ डैम को खाली करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद से वर्ष 2022 से कोरबा में संचालित बिजली संयंत्रों के डैम से राख खाली कराया जा रहा। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी (सीएसपीजीसीेएल) की हसदेव थर्मल पावर प्रोजेक्ट (एचटीपीपी) व डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह (डीएसपीएम) के राखड़ डैम से भी राख परिवहन का ठेका दिया गया है। यहां का राख साऊथ ईस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) मानिकपुर की बंद खदान में भरा जा रहा है। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के पूर्व क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र पिस्दा ने आकस्मिक जांच के लिए अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर 2023 में होने वाले राख परिवहन का ब्यौरा सीएसपीजीसीएल व मानिकपुर प्रबंधन से मांगा। दोनों का ब्यौरा मिलने के बाद राख परिवहन में बड़ी गड़बड़ी आई। सीएसपीजीसीएल ने बताया कि इस अवधि में कुल तीन लाख 23 हजार 666 क्यूबिक मीटर राख भेजी गई। उधर मानिकपुर प्रबंधन ने जानकारी दी कि खदान में 52,500 मीटर क्यूबिक राख पहुंची है।ऐसे में सवाल उठता है कि शेष दो लाख 71 हजार 166 क्यूबिक मीटर राख आखिर कहां गया। दो ही परिस्थितियां बनती है, या कि बिना राख का परिवहन किए बोगस बिल पर भुगतान कर दिया गया। या फिर राख निकला, पर गंतव्य में पहुंचाने की जगह उससे पहले ही यहां- वहां डंप कर दिया गया। दोनों ही सूरत में जांच किया जाना आवश्यक हो गया है।
आइटीआइ कार्यकर्ता मनीष का दावा है कि 180 रुपये पर प्रति क्यूबिक मीटर के आधार पर राख परिवहन का कार्य सीएसपीजीसीएल ने जारी किया है। यदि बोगस भुगतान हुआ है तो सीएसपीजीसीएल को करीब पांच करोड़ का चूना लगाया गया है। मनीष का यह भी कहना है कि इस अवधि में शंकर इंजीनियरिंग, पीआरएल, मधुसूदन, एम कारपोरेशन व मेसर्स एमएस पटेल ने राख परिवहन का काम किया है।
छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल क्षेत्रीय के तत्कालीन अधिकारी शैलेंद्र पिस्दा ने सीएसपीजीसीएल व एसईसीएल से जानकारी मांगी थी। इसके बाद फरवरी 2024 में उनका तबादला हो गया। उनके स्थान पर पी पांडेय की पदस्थापना हुई है। इस मामले में उनका कहना है कि इसकी जानकारी उन्हें नहीं है, मामले की जांच की जाएगी।