हाथी समस्याः फसल क्षतिपूर्ति मेें बढ़ोत्तरी करने की मांग

कोरबा 20 अक्टूबर। कोरबा जिले में पिछले दो दशक से हाथी उत्पात की समस्या बनी हुई है। इसके कारण जनधन की हानि हो रही है और इस वजह से चुनौतियों में विस्तार हो रहा है। कुछ संगठनों ने सरकार का ध्यान इस विषय पर आकर्षित किया है। मांग की है कि क्यों ना फसल नुकसान पर दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की राशि पुनरीक्षित करते हुए उसे 50000 प्रति एकड़ तक किया जाए।

मुख्यमंत्री के संज्ञान में इस विषय को नवा नेचर समिति के अलावा कई संगठन ने लाया है। इस बारे में कहां गया है कि कोरबा सहित प्रदेश के कई जिलों में हाथियों के द्वारा लोगों की संपत्ति को नुकसान पहुंचने के साथ-साथ उनकी फसल चौपट की जा रही है। कई प्रकार के आंकड़े सरकार के मुखिया को दिए गए हैं जो तुलनात्मक अध्ययन पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि समस्या की शुरुआत होने से लेकर अब तक गौर किया गया है कि हाथियों के हमले में जनहानि 15 $फीसदी के आसपास है लेकिन फसल से संबंधित नुकसान का आंकड़ा कहीं ज्यादा है। लोगों की मौत हाथियों के हमले में केवल इस वजह से होती है क्योंकि वह अपने खेतों में धान और अन्य सीजन की फसल की रक्षा करने के उद्देश्य से अक्सर पहुंचते हैं। ऐसे में पता नहीं चलता कि कब जंगली जानवर वहां पर पहुंच जाए और हमला कर दे। सरकार को बताया गया है कि वर्ष 2016 में जंगली जानवरों के द्वारा फसल को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में प्रति एकड़ की क्षतिपूर्ति 9000 सुनिश्चित की गई थी जो अब तक भुगतान की जा रही है।

अशासकीय संगठनों ने सरकार से कहा की पुनर्विचार करते हुए क्षतिपूर्ति को एक एकड़ पर 50 हजार रुपए करने की व्यवस्था की जाए। तर्क दिया गया कि प्रति एकड़ पर जो फसल होती है उसके लिए सरकार मौजूदा समर्थन मूल्य के हिसाब से 65000 का भुगतान करती है ऐसी स्थिति में पुनरीक्षित दर से मुआवजा देने पर सरकार को अपने बजट पर अधिकतम जीरो 0.5 प्रतिशत की राशि ही खर्च करनी होगी। संगठनों ने कहा है कि सरकार अगर इस विषय पर विचार करती है तो हाथियों के हमले में होने वाली जनहानि की दर को रोका जा सकेगा।

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