हाय! ये दुख काहे खतम नहीं होता? नगर निगम कोरबा के विरुद्ध एक और ठेकेदार पहुँचा हाईकोर्ट

कोरबा 14 सितंबर. नगर निगम कोरबा का दुख खतम होने का नाम नहीं ले रहा। एक के बाद एक वहां कार्य करने वाले ठेकेदार निगम अधिकारियों की कार्यशैली से त्रस्त होकर सीधा हाईकोर्ट पहुंच रहें है। निगम में उत्पन्न इन परिस्थितियों के लिए जिम्मेदार कौन है यह तो पता नहीं परंतु जिस प्रकार से नगर निगम कोरबा के मामले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लगातार पहुंच रहे हैं ऐसा लगता है की कुछ दिनों में हाई कोर्ट की एक स्पेशल बेंच कोरबा निगम कार्यालय “साकेत भवन” में लगाने की जरूरत पड़ सकती है।

ताजा मामला नगर निगम कोरबा क्षेत्र में लगने वाली विज्ञापन होर्डिंग का है। नगर निगम कोरबा से विज्ञापन होर्डिंग लगाने हेतु अधिकृत एजेंसी जैन एडवरटाइजर्स ने नगर निगम कोरबा के विरुद्ध ही हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने नगर निगम कोरबा के साथ-साथ शहर में अवैध रूप से होर्डिग लगाने वाले टेंट हाउस संचालकों को भी पक्षकार बनाया है। जैन एडवरटाइजर्स के संचालक का कहना है कि नगर निगम कोरबा द्वारा निगम क्षेत्र अंतर्गत विज्ञापन होर्डिंग लगाने के लिए निविदा जारी की गई थी जिसमें पहली बार किसी भी एजेंसी ने भाग नहीं लिया था। एजेंसियों का कहना था कि नगर निगम द्वारा शहर भर में बांस बल्ली व पाइप लगाकर अवैध रूप से लगाए जा रहे होर्डिंग पर कार्यवाही नहीं की जाती है। ऐसे में निगम को शुल्क देकर अपना नुकसान करवाते हुए कौन कार्य करेगा। तब नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त ने विज्ञापन एजेंसीयों को यह भरोसा दिलाया था की निगम द्वारा अवैध होर्डिंग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और निगम द्वारा अधिकृत विज्ञापन एजेंसी के हितों का ध्यान रखा जाएगा। इस आश्वासन के बलबूते निगम ने पुनः निविदा जारी की जिसमें भाग लेते हुए जैन एडवरटाइजर्स के द्वारा आगामी 5 वर्षों के लिए विज्ञापन होर्डिंग लगाने का कार्य अधिकृत रूप से प्राप्त किया गया। टेंडर लेने के लिए एजेंसी द्वारा भारी भरकम अमानत राशि निगम में जमा की गई। साथ ही एजेंसी ने निगम द्वारा निर्धारित शुल्क भी 1 वर्ष का एडवांस में जमा कर दिया था।

विज्ञापन एजेंसी ने बताया कि लाखों रुपये निवेश करने के पश्चात भी नगर निगम अधिकारियों द्वारा कार्य शुरू होने से आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की मदद विज्ञापन एजेंसी को नहीं प्रदान की गई। बार-बार अवैध होर्डिंग लगाने वालों के विरुद्ध कार्यवाही हेतु आवेदन देने के पश्चात भी निगम अधिकारियों द्वारा उन पर कार्यवाही नहीं की गई, उल्टा कार्यवाही से पल्ला झाड़ने लगे। वहीं अवैध होर्डिंग लगाने वाले टेंट हाउस संचालक अपनी राजनीतिक पहुंच दिखाते हुए अधिकृत एजेंसी को ही अब धौंस दिखाने लगे हैं। विज्ञापन एजेंसी जैन एडवरटाइजर्स का कहना है कि अवैध होर्डिंग लगाना नगर पालिक अधिनियम के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध है परंतु नगर निगम अधिकारियों द्वारा अवैध होर्डिंग लगा रहे टेंट हाउस संचालकों के विरुद्ध एफ.आई.आर तक नहीं कराई जा रही है। विज्ञापन एजेंसी के संचालक ने बताया कि इस बात की शिकायत उनके द्वारा निगम आयुक्त से भी की गई परंतु निगम आयुक्त ने भी इस मामले में कार्यवाही करना मुनासिब नहीं समझा। अंततः उन्हें न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी है।

आयुक्त सही, तो कार्यवाही क्यों नहीं ?

बताया जाता है कि निगम आयुक्त ईमानदार और कार्य के प्रति सख्त है। परंतु हाल के घटनाक्रमों को देखते हुए उनकी कार्य कुशलता पर ही प्रश्न चिन्ह लग जाता है। जिन मामलों में कार्यवाही करना अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने के समान था वहां तत्परता दिखाई गई और वर्तमान प्रकरण में जहां त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए वहां कार्यवाही का अभाव है। खबर यह भी है की अवैध होर्डिंग लगाने वालों को निगम की सत्तासीन पार्टी का संरक्षण प्राप्त है। अब प्रश्न उठता है की अवैध होर्डिंगों पर कार्रवाई नहीं होने का कारण राजनीतिक दबाव है या कुछ और। भई जब आयुक्त सही, तो कार्यवाही क्यों नहीं ?

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