कोरबा पुलिस को गृहमंत्री ने दिखाया आईना, डीजल-कबाड़ चोरी रोकने का दिया निर्देश
कोरबा 6 सितम्बर। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कोरबा जिला पुलिस को आईना दिखा दिया है। गुरुवार को बिलासपुर में हुई विभागीय बैठक में गृहमंत्री ने, जिला पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी को डीजल और कबाड़ चोरी पर अंकुश लगाने का निर्देश दिया। गृहमंत्री गत गुरुवार को बिलासपुर रेंज के पुलिस अधीक्षकों की बैठक ले रहे थे।
गृहमंत्री के इस निर्देश से यह बात पुष्ट हो गई है कि जिले में डीजल और कबाड़ चोरी का कारोबार पूर्व की तरह निर्वाध गति से चल रहा है। गृहमंत्री ने कोरबा जिले में प्रतिदिन हो रहे लाखों रुपयों की कोयला चोरी और तस्करी पर रोक लगाने का निर्देश क्यों नहीं दिया, यह आश्चर्य की बात है।
यहां उल्लेखनीय है कि इंडियन ऑयल के डिपो से निकलने वाले वाहनों से तो नियमित रूप से डीजल और पेट्रोल की चोरी हो ही रही है, इसके अलावे एस ई सी एल की कोयला खदानों से भी प्रतिदिन लाखों रुपयों की डीजल की चोरी हो रही है। लम्बे समय बाद पता नहीं कैसे हाल ही में दीपका पुलिस ने डीजल चोरी का एक प्रकरण बनाया था।
इसी कड़ी में बताते चलें कि जिले में स्थापित एस ई सी एल की सभी कोयला खदानों में कोयला की चोरी और तस्करी भी बेखौफ जारी है। खासकर दीपका, गेवरा और कुसमुंडा कोयला खदान तो डीजल और कोयला चोरों का स्वर्ग कहा जाता है।
एस ई सी एल की मानिकपुर कोयला खदान भी कोयला चोरों और तस्करों की दैनिक आय का जरिया बना हुआ है। मानिकपुर रेलवे साइडिंग में तो दोतरफा कोयला चोरी हो रही है। एक तो साइडिंग के लिए आने वाले कोयले की चोरी और तस्करी हो रही है, तो दूसरी ओर रेल्वे स्टेशन में मालगाड़ियों से ओव्हर लोड के नाम पर निकाले जाने वाले कोयले की बेधड़क तस्करी की जा रही है। इसी तर्ज पर रेलवे स्टेशन सरगबुंदिया में कोयले की तस्करी की जा रही थी, जिस पर पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर द्वारा शिकायत करने के बाद रोक लग गई है। लेकिन इस मामले में भी जांच के नाम पर रेल्वे प्रबन्धन ने खानापूर्ती बस की है, जिसकी शिकायत केन्द्रीय मंत्री से पूर्व गृहमंत्री ने की है।
जिले में बहुतायत में प्रचारित है कि पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ तिवारी ने सभी अवैध कार्यों पर रोक लगा रखी है। लेकिन आम आदमी इस बात को साफ शब्दों में कहते हैं कि जिले में डीजल, कोयला, कबाड़ की चोरी तस्करी और सट्टा का धंधा अबाध गति से चल रहा है। तो क्या यह मान लिया जाए कि जिले के थानेदार अपने अपने थाने में मनमानी कर रहे हैं और उन पर प्रशासनिक नियंत्रण खत्म हो गया है? अगर ऐसा है तो थानेदारों को कहां से और किसका संरक्षण मिल रहा है? क्या गृहमंत्री के निदेश के बाद जिले में कोयला, डीजल, कबाड़ की चोरी और सट्टा पर अंकुश लगेगा या पुरानी सरकार की तरह नई सरकार भी चलेगी?