अब रेल यात्रा होगी और भी सुरक्षित और आरामदायक

नईदिल्ली 15 फरवरी। आज के समय में रेल यात्रा करना सहज होता जा रहा है। इसके लिए हमें भारतीय रेलवे का शुक्रगुजार होना चाहिए, जिसके उन्नत एवं व्यापक नेटवर्क के बलबूते आज देश के किसी भी कोने में पहुंचा जा सकता है। बीते कुछ साल में वर्तमान केंद्र सरकार ने भी रेलवे के जीर्णोद्धार में बड़ी भूमिका निभाई है।

अब इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए भारतीय रेलवे ने यात्रा को और भी सुरक्षित और आरामदायक बनाने हेतु तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सारी बड़ी तैयारियां की जा चुकी हैं। जिनमें से एक प्रमुख कार्य है, LHB कोच का निर्माण।

भारतीय रेलवे की विभिन्न उत्पादन इकाइयों में एलएचबी कोच का निर्माण तेज रफ्तार में चल रहा है। अब तक 4 हजार से भी ज्यादा एलएचबी कोच तैयार किए जा चुके हैं जो भारतीय रेलवे का कायाकल्प करने में काम आएंगे। ये कोच बेहद खास होंगे।

4 हजार से ज्यादा LHB कोच करेंगे कायाकल्प

भारतीय रेलवे द्वारा 4,962 लिंक हाफमेन बुश यानि एलएचबी कोच तैयार किए गए हैं। ये अत्याधुनिक कोच भारतीय रेलवे का कायाकल्प कर देंगे। बता दें भारतीय रेलवे ने अतीत में तकनीकी ज्ञान और दक्षता के लिए सदैव प्रयास किया है। यह आज भी तमाम तकनीकी परिवर्तनों को अपनाते हुए कार्य करने का प्रयास कर रही है। भारतीय रेलवे आज भी तकनीक में आने वाले बदलावों के साथ तालमेल बैठाने और देश की अर्थव्यवस्था में आए अवरोध को दूर करने के प्रति प्रयासरत है।

इसी दिशा में रेल कोच कारखाना (आरसीएफ) ने 1494, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने 2017 और मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) ने 1415 एलएचबी कोच का निर्माण किया। वहीं नवंबर, 2021 तक 575 जोड़ी ट्रेनों को लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) डिब्बों से बदला गया। इसके अलावा भारतीय रेलवे अत्याधुनिक वंदे भारत कोच तैयार कर रही है। हमसफर, तेजस, अंत्योदय, उत्कृष्ट डबल डेकर वातानुकूलित यात्री (उदय), महामना, दीन दयालु और विस्टाडोम जैसी उन्नत सुविधाओं वाले कोचों को भी तैयार किया जा रहा है। इससे भारतीय रेलवे की विकास रफ्तार को आसानी से समझा जा सकता है।

LHB कोच की खासियत

भारतीय रेलवे में लाल रंग वाले कोच को एलएचबी यानि लिंक हाफमेन बुश कोच कहा जाता है। फिलहाल ये हल्के नीले रंग में भी बनाए जा रहे हैं। वहीं ट्रेनों में गहरे नीले रंग वाले कोच को आईसीएफ यानि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री कोच कहा जाता है। आईसीएफ कोच पारंपरिक रेलवे कोच हैं। वहीं, एलएचबी कोच इनका अपडेटेड वर्जन हैं।

कब शुरू हुआ निर्माण

नीले रंग वाले आईसीएफ कोच के निर्माण की शुरुआत साल 1952 में हुई थी। ये तमिलनाडु के चेन्नई में स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जाता है। वहीं, लाल रंग वाले कोच को एलएचबी को बनाने की शुरुआत साल 2000 में हुई। इसको जर्मनी की कम्पनी लिंक हाफमेन बुश द्वारा डिजाइन किया गया। ये कोच रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में बनाए जाते हैं।

किस धातु से बना है एलएचबी कोच

एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बना हुआ है इसलिए यह आईसीएफ कोच के मुकाबले हल्का होता है। वहीं आईसीएफ कोच स्टील से बना हुआ होता है, इसलिए इसका वजन ज्यादा होता है। एलएचबी कोच का वजन आईसीएफ कोच के मुकाबले करीब 10 फीसदी कम होता है।

बेहतर ब्रेकिंग सिस्टम

एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए आपातकालीन परिस्थिति में ब्रेक लगाने पर यह बेहद कम दूरी में ही रुक जाता है। इसलिए यह ज्यादा सुरक्षित है।

कम आवाज करने वाले कोच

एलएचबी कोच का सस्पेंशन हाइड्रोलिक होता है इसलिए ये कम आवाज करता है। ज्यादातर पुराने कोचों में आवाज ज्यादा होती थी इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए एलएचबी कोचों को इस तरीके से तैयार किया गया कि इनमें ट्रेन पटरी पर दौड़ने के दौरान कम से कम आवाज करे। साथ ही इसमें साइड सस्पेंशन भी दिया गया है जो यात्रियों को झटके महसूस नहीं होने देता। लंबी यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए इन कोचों में यात्रा करना बेहद सुखद हो गया है।

अधिक गति वाली ट्रेनों के लिए उपयुक्त

एलएचबी कोच अधिक गति वाली ट्रेनों के लिए उपयुक्त हैं। इनमें डायनेमो नहीं लगाया गया। इसलिए इन कोच की रफ्तार भी आईसीएफ कोच के मुकाबले अधिक होती है। इस ट्रेन के कोच को 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक दौड़ाया जा सकता है। वहीं आईसीएफ कोच में बिजली बनाने के लिए डायनेमो लगा होता है, जो ट्रेन की स्पीड को कम करता है।

सुरक्षा के लिहाज से भी बेहतर

एलएचबी कोच सुरक्षा के लिहाज से भी बेहतर हैं। जी हां, ये कोच दुर्घटना के दौरान एक दूसरे पर नहीं चढ़ते क्योंकि इसमें सेंटर बफर कॉलिंग सिस्टम लगा होता है। इससे जान माल की कम हानि होती है।

मोबाइल चार्जिंग पॉइंट और लाइट की सुविधा

वहीं ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों को प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधाओं के हिस्से के रूप में मोबाइल चार्जिंग पॉइंट, लाइट और पंखों का परिचालन करने के लिए कोचों में बिजली आवश्यक है। इन कोचों में इसे ध्यान में रखते हुए ये सुविधाएं भी प्रदान की गई है।

गौरतलब हो, बेहतर विकास के लिए अपने आधारभूत ढांचे को मजबूत करना आज प्रत्येक संगठन की आवश्यकता बन गया है। इस क्षेत्र के विकास के लिए भारतीय रेलवे ने सुनियोजित एवं चरणबद्ध तरीके से कार्य किया है। जो आज सबके सामने है। इसके चलते स्वत: ही पर्यटन का भी विस्तार हुआ है और देश इस दिशा में भी रोजाना नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

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