शिक्षा से बच्चों को वंचित कर रहे निजी स्कूलों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए-रौशन सिंह
➡️ सरकार दोनो पक्षों में सामंजस्य बैठा कर न्यायपूर्ण दिशा निर्देश जारी करें .
➡️ फीस की भुगतान राशि निर्धारित हो सभी निजी स्कूलों पर एक सा नियम लागू हो
हमेशा की तरह ज्वलंत मुद्दों को उठाने वाले सक्रिय भाजपा युवा नेता रौशन सिंह ने इन दिनो शिक्षा पर हो रही विसंगतियों पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सरकार का ध्यान आकर्षित कराते हुए स्कूल प्रबंधक और अभिभावको के बीच एक बेहतर ताल-मेल बैठाने के अपने सुझावों को सांझा करते हुए कहा कि सरकार अतिशीघ्र कोई ठोस निर्णय ले क्योकि पानी अब सर से गुजर चुका है।
पूरे देश प्रदेश में विगत पांच माह से परिस्तिथियां विकराल रूप लिए हुए है कोरोना की त्रासदी झेलते हुए हर वर्ग दहशत में जीवन यापन कर रहा है खासकर मध्ययम परिवार की स्तिथि वाकई में दयनीय है पूरे दिनों के हालात पर गौर किया जाए तो विगत दिनों में मानसिक शारीरिक तथा आर्थिक परेशानियों से हर परिवार रोज ही दो चार हो रहा है।वही श्री सिंह ने कहा कि एक तरफ इस भयावह संक्रमण की आशंका और दूसरी तरफ परिवार पालने की जिम्मेदारी सचमुच आज के हालात में बहुत ही कठिन हो गया है ऐसे में बच्चों की शिक्षा के लिए हर परिवार बहुत ही ज्यादा चिंतित हो उठा है ,सभी तरफ त्राहिमाम सा मचा है, ऐसी जटिल परिस्तिथियों में खास कर बच्चों की स्कूल फीस पर सरकार कोई निश्चिंत दिशा निर्देश दे पाने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है ,जो कि एक सोचनीय विषय है सरकार पूरी तरह मौन धारण किये हुए है ये बहुत ही चिंताजनक है सरकार को चाहिए की अभिभावकों तथा स्कूल प्रबंधक के बीच सामंजस्य बैठा कर एक न्यायपूर्ण गाइडलाइन जारी करना चाहिए वरना आगामी भविष्य में इसके काफी गम्भीर परिणाम आ सकते है, एक तरफ स्कूल प्रबंधक अपने स्टाफ की सैलरी की दुहाई देता है वही दूसरी तरफ 5 माह से बंद पड़ी पढ़ाई और बन्द पड़े स्कूल की पूरी फीस लेने पर अड़ा है अब अभिभावक को बंद स्कूल की पूरी फीस देने वर्तमान की आर्थिक स्तिथी में न्यायसंगत बात नही लगती की बंद पड़े स्कूलों को भी पूरे वर्ष की फीस दी जाए।
श्री सिंह ने कहा कि इस बीच ऑनलाइन पढ़ाई का एक नया ट्रेंड शुरू किया गया ताकि स्कूल प्रबंधक अपनी फीस हक से मांग सके न्यायालय के आदेश में ट्यूशन फीस देने के आदेश के बाद मानो स्कूलों को मनमांगी मुराद मिल गई है पर उसमे कोई निश्चत राशि का निर्धारण नही होना भी एक जटिल विषय हो गया है, कुछ स्कूल प्रबंधक अब अभिभावको को सीधी -सीधी धमकी भी देने लगे है कि यदि आप फीस नहीं पटा पाते तो अपने बच्चे की टीसी ले जाये क्या ये उचित बात है श्री सिंह ने घोर आपत्ति प्रकट करते हुए कहा कि ऐसा बिलकुल नहीं होना चाहिए शिक्षा के मंदिर से इस तरह के फरमान ही शिक्षा के व्यासायिक रूप प्रदर्शित हो रहे है जो कि बेहद ही निंदनीय है।
अभिभावक आखिर जाए तो जाए कहाँ?
फीस नहीं पटाते तो ऑनलाइल पढ़ाई से स्कूल वंचित कर रहा है स्कूल बंद होने पर भी फीस का भुगतान करने आर्थिक स्तिथि इसकी इजाजत नहीं देता ये दोहरा मरण परिवार के लिए हो गया है, सरकार दोनो पक्षो की समस्या को सुनते हुए कोई ऐसा मार्ग निकाले ताकि न तो स्कूल प्रबंधक पर कोई आर्थिक संकट पड़े और ना ही अभिभावकों पर कोई अतिरिक्त बोझ पड़े तथा सभी स्कूलों के लिए एक ऐसी नीति तैयार कर सभी को राहत पहुचाए,और ये दोनों पक्षों के आपसी सामंजस्य से ही संभव हो पायेगा।
मनमानी फीस नही देने पर अब बच्चों को ऑनलाइन क्लास से भी किया जा रहा वंचित!
भाजपा युवा नेता रौशन सिंह ने कहा कि पूरे देश मे शिक्षा के अधिकार का नियम लागू है और इस तरह फरमान जारी करना इस नियम पर पूरी तरह कुठाराघात है और ऐसे नियम बनाने वाले स्कूलों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए ।
विगत दिनों अभिभावक संघ ने स्कूलों के द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए बच्चों को ऑनलाइन क्लास से रिमूव करने की कार्रवाई के खिलाफ अभिभावकों ने अपने आक्रोश को एक आंदोलन के रूप में छेड़ने की मंशा भी जाहिर की थी पर उसके बाद भी सरकार के कान पर जूं नही रेंगी निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सभी अभिभावकों ने जिला कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय का घेराव कर अपनी मांगों की ओर शासन का ध्यान आकर्षित कराने तथा न्यायोचित दबाव भी बनाया ।
निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के परिजनों में इन स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शासन प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की सख्त और निर्णायक कार्यवाही नहीं होने को लेकर काफी दुख और आक्रोश पनप रहा है । पालकों का कहना हैं कि बिना अनुमोदित किए हुए,बढी हुई ट्यूशन फीस, दबाव पूर्वक अभिभावकों से वसूल करने के लिए निजी स्कूलों के द्वारा येन- केन प्रकारेण दुष्चक्र रचा जा रहा है। अभिभावकों ने यह तय किया है निजी स्कूलों की मनमानी तथा उन्हें अधिकारियों की ओर से दिए जा रहे अभयदान के खिलाफ बेहद असंतोष है और जल्द ही कोई न्यासंगत निर्णय लिया जाना चाहिए। अभिभावकों को आर्थिक मानसिक प्रताड़ना देने वाले निजी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एक्शन लेने के लिए शासन को ज्ञापन भी दिया गया और इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग भी की गई शहर के कुछ बड़े स्कूलों में आज फीस नहीं भरने के कारण बच्चों को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया गया है जिससे अभिभावकों में गुस्सा साफ देखा जा रहा है और कहीं ना कहीं निजी स्कूल अब अपनी मनमानी पर आ चुकी है जिसका समय रहते विरोध करना बेहद आवश्यक है।
प्रशासन को अब दोनों पक्षों की आर्थिक स्तिथि को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने की अत्यधिक आवश्यकता है ।