दीपका खदान से चोरों ने फिर किया लाखों का डीजल पार

सुरक्षा पर भारी खर्च फिर भी नतीजे सिफर

कोरबा। कोयला उत्पादन और डिस्पैच की चुनौतियों को लेकर एसईसीएल जी तोड़ मेहनत कर रही है तो संगठित चोर गिरोह चपत लगाने के मामले में पीछे नहीं है। एसईसीएल की दीपका माइंस में डीजल चोरी का सिलसिला जस की तस बना हुआ है। पिछली रात बारी-बारी से आये चोरों ने दो डोजर को निशाना बनाया और लाखों का डीजल पार कर दिया। पुलिस को सूचना देने की तैयारी की जा रही है।   

जानकारी के अनुसार चोरों की संख्या 15 से अधिक बताई गई है जो बीती रात यहां पहुंचे। चोरों के द्वारा उस रास्ते का इस्तेमाल किये जाने की जानकारी मिली जिसका उपयोग ओवरबर्डन में लगे वाहन करते हैं। इस इलाके में प्रबंधन के द्वारा गोदावरी प्राइवेट लिमिटेड को ओवरबर्डन हटाने का काम दिया गया है। संबंधित गतिविधियों के साथ चोरी-चकारी का दौर भी चल रहा है। बताया गया कि दीपका माइंस में सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद चोरों के हौसले बढ़े हुए हैं। सोमवार की रात 8.30 बजे के आसपास चोरों के समूह ने धावा बोला। उनकी हरकतों को नजदीक में मौजूद विभागीय सुरक्षा कर्मी नजर रख रहे थे। सुरक्षा कर्मी सीमित थे इसलिए उन्होंने इस बारे में सीआईएसएफ की क्विक रिस्पांस टीम को खबर दी। जैसा कि पहले होता आया है, काफी देर बीतने के  बाद टीम यहां पहुंची। इससे पहले तक चोरों ने डोजर को निशाना बनाया और उसमें मौजूद डीजल पार कर दिया। इस घटना के बाद रात्रि 11 बजे फिर चोरों की उपस्थिति यहां पर हुई। कैम्पर वाहन में काफी जेरीकेन और पाइप के साथ पहुंचे चोरों ने एक और डोजर को निशाने पर लिया और उसका डीजल निकाल दिया। सूत्रों ने बताया कि चोरों के द्वारा डोजर संख्या 12078 और 12079 से डीजल की चोरी की गई। दोनों घटना के दौरान क्यूआरटी को फोन पर सूचना दी गई और तुरंत पहुंचने को कहा गया। हैरत की बात यह है कि लगभग एक घंटे बाद सीआईएसएफ की टीम यहां पहुंची। जाहिर है इस समय तक चोर उनका इंतजार कैसे करते। प्रबंधन को इस घटना में हुई अच्छी खासी चपत लगी है। घटनाक्रम की इंटरनल रिपोर्टिंग करने के साथ आगे अवगत कराया जाएगा। वर्तमान में पुलिस को इस बारे में सूचित नहीं किया गया है।   

एसईसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में चोरी की घटनाओं को देखते हुए सीआईएसएफ के साथ-साथ त्रिपुरा राइफल्स को लगाया गया है। सुरक्षा के काम में आंतरिक व्यवस्था भी की गई है। हर महीने कई करोड़ की राशि इस पर खर्च की जा रही है लेकिन नतीजे अनुकूल नहीं है। सर्वाधिक मामले कोरबा के साथ-साथ सूरजपुर, शहडोल और रायगढ़ जिले के कोलफील्ड्स में सामने आ रहे हैं। इसे लेकर चिंता जताने का दौर जारी है लेकिन प्रभावी उन्नमूलन को लेकर ठोस नीति नहीं बन सकी है।

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