कविता @ नाग पंचमी
नाग पंचमी
यह नाग पंचमी झम्मक झम,
यह ढोल-ढमाका ढम्मक ढम।
मल्लों की जब टोली निकली,
यह चर्चा फैली गली-गली।
दंगल हो रहा अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में॥
सुन समाचार दुनिया धाई,
थी रेलपेल आवाजाई।
यह पहलवान अम्बाले का,
यह पहलवान पटियाले का।
ये दोनों दूर विदेशों में,
लड़ आए हैं परदेशों में।
उतरेंगे आज अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में॥
वे गौर सलोने रंग लिये,
अरमान विजय का संग लिये।
कुछ हंसते से मुसकाते से,
मूछों पर ताव जमाते से।
जब मांसपेशियां बल खातीं,
तन पर मछलियां उछल आतीं।
थी भारी भीड़ अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में॥
यह कुश्ती एक अजब रंग की, यह कुश्ती एक गजब ढंग की।
देखो देखो ये मचा शोर,
ये उठा पटक ये लगा जोर।
यह दांव लगाया जब डट कर,
वह साफ बचा तिरछा कट कर।
जब यहां लगी टंगड़ी अंटी,
बज गई वहां घन-घन घंटी।
भगदड़ सी मची अखाड़े में,
चंदन चाचा के बाड़े में।।