‘छत्तीसगढ़’ शब्द के चलन के कहानी
आज छत्तीसगढ़ राज बने कोरी भर बछर ले आगर होगे हे. फेर ए छत्तीसगढ़ शब्द ह कहाँ ले आइस, लोगन के जुबान म कइसे चढ़िस, एकर खातिर इतिहास के जुन्ना पन्ना मनला टमड़थन त आरो मिलथे, के सबले पहिली छत्तीसगढ़ शब्द ल खैरागढ़ के चारण कवि दलराम राव के रचना म पाए जाथे, जे अपन राजा लक्ष्मीनिधि राय ले सन् 1497 म एक प्रशस्ति म कहे हे-
लक्ष्मी निधि राय सुनौ चित्त दै, गढ़ छत्तीस म न गढ़ैया रही
मरदुमी रही नहिं मरदन के, फेर हिम्मत से न लड़ैया रही
भय भाव भरे सब कांप रहे, भय है नहिं जाय डरैया रही
दलराम भनै सरकार सुनौ, नृप कोउ न ढाल अड़ैया रही
इहाँ के साहित्य म छत्तीसगढ़ शब्द के प्रयोग दुसरइया बेर रतनपुर के कवि गोपाल मिश्र ह ‘खूब तमाशा’ नामक किताब म करे हे, जेकर रचना वो मन सन् 1689 माने संवत् 1746 म करे रिहिन हें-
छत्तीस गढ़ गाढ़े जहाँ बड़े गढ़ोई जानि
सेवा स्वामिन को रहैं सकें ऐंड़ को मानि
तब ले चालू होए छत्तीसगढ़ शब्द के चलन ह धीरे- धीरे करत एक स्वतंत्र राज के रूप म चिन्हारी पाए के उदिम करे लागिस. शुरुआत म जेन छत्तीसगढ़ राज के कल्पना करे गे रिहिसे वोमा शिवनाथ नंदिया के उत्तर अउ दक्षिण म वो बेरा म रहे 18-18 गढ़ के समिलहा रूप ल एकर खातिर जोंगे गेइस, अइसे इतिहासकार मन के कहना हे.
कहे जाथे, के इहाँ जब कलचुरी मन के शासन रिहिसे तब वो मन शिवनाथ के उत्तर म रतनपुर शाखा अउ दक्षिण म रायपुर शाखा बनाए रिहिन हें, जेमा 18-18 गढ़ रिहिसे.
रतनपुर शाखा के अन्तर्गत – रतनपुर, विजयपुर, खरोद, मारो, कोटगढ़, नवागढ़, सोंधी, ओखर, पडरभठ्ठ, सेमरिया, मदनपुर, लाफा, कोसागाई, केंदा, मातीन, उपरौरा, पेंड्रा, कुरकुट्टी.
रायपुर शाखा के अन्तर्गत- रायपुर, पाटन, सिमगा, सिंगारपुर, लवन, अमीर, दुर्ग, सारधा, सिरसा, मोहदी, खल्लारी, सिरपुर, फिंगेश्वर, सुवरमाल, राजिम, सिंगारगढ़, टेंगनागढ़, अकलवाड़ा.
फेर ए सब ह तब तक सिरिफ एक कल्पना मात्र रिहिसे. छत्तीसगढ़ के ए कल्पना म अभी के मध्यप्रदेश के बालाघाट अउ शहडोल तक के भाग ले लेके ओडिशा राज के खरियार रोड तक ल संघारे जावत रिहिसे. काबर ते ए जम्मो विस्तारित भाग ल प्राचीन दक्षिण कोसल राज के भू-भाग माने जावत रिहिसे. हमन जब छत्तीसगढ़ राज आन्दोलन म संघरे राहन त ए जम्मो क्षेत्र के लोगन हमर मन के आन्दोलन म समर्थन करे खातिर आवंय अउ अलग छत्तीसगढ़ राज बनही तेमा हमूं मनला, माने वो जम्मो क्षेत्र ल छत्तीसगढ़ म शामिल करे जाय काहंय.
देश ल अंगरेजी शासन ले आजादी मिले के बाद सन् 1956 म भाषाई आधार म जम्मो राज मन के पुनर्गठन करे खातिर ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ के स्थापना करे गे रिहिसे. तब 28 जनवरी 1956 के नांदगांव म डा. खूबचंद बघेल के गुनान म ‘छत्तीसगढ़ी महासभा’ के पहिली बेर आयोजन करे गिस. इही आयोजन ह छत्तीसगढ़ राज खातिर आन्दोलन के नेंव के बुता करिस, जेकर चलत 1 नवंबर सन् 2000 के हमन ल अलग छत्तीसगढ़ राज के चिन्हारी मिलिस. एकर पहिली ए क्षेत्र ह सीपी एण्ड बरार अउ फेर वोकर बाद मध्यप्रदेश के अन्तर्गत आवत रिहिसे.
साभार – सुशील भोले-
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