अपने आप को जिंदा साबित करने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा रामविचार
बलरामपुर 20 जुलाई: एक व्यक्ति अपने आपको जिंदा साबित करने के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रहा है. वहीं, एसडीएम का कहना है कि ऐसे मामले बहुत कम ही आते हैं और यह पहला ऐसा केस है जहां एक व्यक्ति को खुद के जिंदा होने के सबूत देने पड़ रहे हैं.दरअसल पूरे बीस साल बाद वह अपने गांव लौट हैं. इस बीच उसे मरा हुआ धोषित कर, गांव के ही कुछ लोग इस व्यक्ति की जमीन हड़पने के उद्देश्य से उसका फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर जमीन अपने नाम करवा ली हैं.
यह अजीबोगरीब मामला मामला वाड्रफनगर विकासखंड के ककनेशा गांव का है. जहां रहने वाले रामविचार गोड़ 20 वर्ष पहले रोजगार की तलाश में उत्तरप्रदेश के बलिया जिले चला गया था.वहीं, किसी कारखाने में काम करने लगा इस बीच उसे अपने गांव की याद आई और वापस 20 वर्ष बाद फिर से अपने गांव ककनेशा पहुंचा.
आज रामविचार की उम्र लगभग 65 वर्ष हैं गांव आने पर सारी स्थिति परिस्थिति देख वह परेशान हो गया.वह इस बात को लेकर दुःखी हो गया कि जिस गांव में वह पैदा हुआ उसी गांव के कतिपय लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उसे मरा हुआ धोषित कर दिया बल्कि फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र भी तैयार करा लिया और उस व्यक्ति की जमीन अपने नाम करवा ली.
दुसरी अजीब बात यह रही कि रामविचार ने अब तक शादी ही नही की हैं किन्तु लेकिन लंबे समय से गांव से लापता रहने पर गांव के ही कुछ लोगों ने एक लडक़ी को उसकी संतान बताकर उसकी जमीन को उस लड़की के नाम पर करवा दी जो अभी उत्तरप्रदेश के लीलासी में रहती है.
रामविचार के पास सबूत के तौर पर आधारकार्ड और वोटर आईडी भी नहीं हैं.उसके परिवार में छोटा भाई औऱ भतीजे ही हैं.
रामविचार 20 साल बाद वापस गांव लौटा तो जमीन के फर्जीवाड़े का भी खुलासा हो गया सभी ग्रामीण हैरत में पड़ गए. रामविचार अब अपनी जमीन को पाने के लिए तहसील और एसडीएम कोर्ट का चक्कर काट रहा हैं. रामविचार के परिजन और गांव के सरपंच का बेटा भी बता रहा है कि रामविचार जिंदा है और उसकी जमीन को गलत तरीके से दूसरे के नाम पर रजिस्ट्री करवा दी गई है.
फिलहाल अब रामविचार तो जिंदा है लेकिन उसको अपने जिंदा होने का प्रमाण पेश करना पड़ेगा. क्योंकि सरकारी दस्तावेजों उसकी मृत्यु हो चुकी है.