प्रत्याशी चयन के बाद भाजपा में बगावत: कभी कांग्रेस पर लगाते थे आरोप अब खुद पर उठ रही उंगुली

न्यूज एक्शन। भाजपा नेतृत्व द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा के बाद आक्रोश पनप उठा है। टिकट बटंवारा के बाद भाजपा पर वंशवाद, पूंजीवाद , वर्गवाद के आरोप लगने के साथ पार्टी के चाल चरित्र पर उंगुली उठने लगी है। भारतीय जनता पार्टी यह दावा करती रही है कि पूरे हिन्दुस्तान में भाजपा ही एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो चाल चरित्र की राजनीति करती है। भाजपा वंशवाद, पूंजीवाद, जातिवाद की घोर विरोधी पार्टी है। पार्टी के योग्य जमीनी कार्यकर्ताओं को भी नेतृत्व का मौका देने का दंभ भाजपा भरती रही है। इसके अलावा कांग्रेस पर वंशवाद , पूंजीवाद, जातिवाद एवं एक परिवार विशेष की पार्टी होने का आरोप भाजपा लगाती रही है। मगर छत्तीसगढ़ में भाजपा प्रत्याशियों की सूची घोषित होने के बाद पार्टी के भीतर जो विरोध नजर आया है उसकी बानगी तो पार्टी की कथनी करनी का विरोधाभास साबित कर रही है। सूची जारी होने के बाद भाजपा में कुछ सीटों पर वंशवाद , वर्गवाद एवं पूंजीवाद को तवज्जो देकर जमीनी एवं संगठन के सक्रिय नेताओं को दरकिनार किए जाने का आरोप लगने के साथ बगावती सुर पार्टी से बाहर आ चुका है। ऐसे नेताओं के आंसू आज के अखबारों के फं्रट पेज पर सुर्खियां बनी रही। वहीं कोरबा के एक वरिष्ठ एवं जमीनी नेता अपनी टिकट कटने की व्यथा अपनों को बता रहा है। इस व्यथा की जनचर्चा जमकर हो रही है। जनचर्चा की मानें तो वह नेता कहता फिर रहा है कि वह पार्टी में 30-35 साल से सक्रिय है। उसके वंशज भी भाजपा की सेवा करते रहे है। लेकिन वह पूंजी के मामले में कमतर था शायद उसकी बजाए आर्थिक रूप से सशक्त दावेदार को पार्टी ने मौका दिया है। कोरबा ही नहीं प्रदेश के कई जिलों में टिकट बंटवारा के बाद ऐसी व्यथाएं और बगावती सुर सुनने को मिल रहे है।

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