कार्यकर्ता व सहायिका अनिश्चितकालीन हड़ताल पर, एक माह बाद भी सुनवाई नहीं

कोरबा 27 फरवरी। जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका शासन के आदेश के बाद भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटी हुई हैं। 6 मांगों को लेकर जारी हड़ताल को एक महीने पूरा हो गए हैं। इसके बाद भी उनके हौसले बुलंद हैं। हड़ताल के दौरान नित नए नए तरीकों से प्रशासन के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करने वाली कार्यकर्ता सहायिका अब पोस्ट कार्ड अभियान चलाकर सरकार को जगाएंगी। उधर सरकार आंगनबाड़ी केन्द्रों के बंद होने से योजना के लाभ से वंचित होने वाले बच्चों व महिलाओं को जोड़े रखने की वैकल्पिक व्यवस्था भी काम नहीं आ रही है। माना जा रहा है जब तक हड़ताल समाप्त नहीं होगी तब तक केन्द्रों का संचालन सुचारू रूप से होना संभव नहीं है।

छत्तीसगढ़ कार्यकर्ता सहियका संघ के प्रांतीय संयुक्त मंच के आह्वान पर अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत सोमवार तक पोस्टकार्ड के माध्यम से आग्रह पत्र भेजो अभियान चलाएंगी। पोस्ट कार्ड प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के नाम भेजा जाएगा। साथ ही सभी विधायकों के निवास का घेराव व उनके प्रतिनिधियों को आग्रह पत्र भेजा जाएगा।संयुक्त मंच ने निर्णय लिया है कि 28 फरवरी को राजभवन चलो का नारा लगाकर जिला स्तर पर हड़ताल में शामिल कार्यकर्ता सहायिका रैली निकालकर कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगी।

हड़ताल को विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक व श्रमिक संगठनों का समर्थन मिलने कार्यकर्ता सहायिका उत्साहित हैं। निश्चितकालीन हड़चाल पर चल रहीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 1 मार्च को हस्ताक्षर अभियान चलाकर जनसमर्थन जुटाएंगी। हड़ताली कार्यकर्ता सहायिका पंडाल स्थल व शहर के चौक चौराहों में टीम बनाकर लोगों से हस्ताक्षर कराकर उनका समर्थन मांगेंगी। साथ ही 4 से 6 मार्च तक रायपुर में विधानसभा मार्चए घेरावए संचालनालय महिला एवं बाल विकास विभाग तक प्रदर्शन करते हुए जेल भरो आंदोलन करेंगी।

हम मान सेवी हैं शासकीय कर्मचारी नहीं। किसी की पहचान ड्रेस या कपड़ा से नहीं बनता उसके कर्मों से बनता है। और आंगनबाड़ी कार्यकत्र्ता की पहचान अपने काम से बना है हर हितग्राही जानते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें ड्रेस पहनकर अपना पहचान बनाने की आवश्यकता नहीं है और हड़ताल के समय तो यह सब बोझ को मन में बैठाकर हडताल करना तो और ही उचित नहीं है। संयुक्त मैच ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं से शासन द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड का बहिष्कार करने का आह्वान किया है, जिसका समर्थन कार्यकर्ता सहायिका कर रही हैं।

जिला स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हड़ताल के कारण बंद आंगनबाड़ी केन्द्रों के सुचारू संचालन के लिए गांव की महिला स्व सहायता समूहों का सहयोग लेने की बात कही जा रही है। यहां बताना होगा कि जिन महिला समूहों का रोजगार छीनकर राज्य स्तर पर एक विभाग को काम दिया गयाए उन्हीं समूह की महिलाओं से विभाग किस मुंह से मदद मांग रहा है। एक समूह की अध्यक्ष व सचिव ने बताया कि उनसे सहयोग मांगा गया है, लेकिन वे तैयार नहीं हैं।

जिला स्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल को शुरू करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संघ की जिलाध्यक्ष वीणा साहू ने बताया कि जब से वे आंदोलन में शामिल हुई हैं जिला में 90 फीसदी से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों के ताले नहीं खुल रहे हैं। शासन इसके लिए लाख दावा कर ले संचालन होने का अगर किसी को हकीकत जानना है तो उन्हें ग्राउंड स्तर पर केन्द्र तक पहुंचना होगा। तब वास्तविकता पता चलेगी। उन्होंने कहा कि इस बार आरपार की लड़ाई के मूड में हैं।

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