नगर के 10 स्थानों पर आरएसएस ने मनाया विजया दशमी उत्सव

कोरबा 16 अक्टूबर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने परंपरागत तरीके से विजयादशमी उत्सव शहरी क्षेत्र में 10 स्थानों पर आयोजित किया। बड़ी संख्या में स्वयंसेवक इस कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां पर परंपरा के अनुसार शस्त्र पूजन किया गया और समाज हित में इसकी आवश्यकता को प्रतिपादित किया गया।

सभी स्थानों पर यह कार्यक्रम शुक्रवार की सुबह साढ़े छह बजे से आयोजित किया गया। संघ के गणवेश में स्वयंसेवकों ने इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सुभाषितए,अमृत वचन, एकल गीत के पश्चात मुख्य वक्ता और अतिथियों ने यहां पर अपनी बात रखी। गुरु घासीदास उपनगर निहारिका में मुख्य वक्ता भोज राम देवांगन, भगत सिंह उप नगर कोरबा में उत्तम पाठक, एसईसीएल कालोनी दुर्गा मंदिर पंद्रह ब्लाक में नगर संघचालक डा विशाल उपाध्याय वक्ता रहे। इसी तरह केशव उपनगर बालको में गोपाल केडिया, विवेकानंद उपनगर दर्री रूमगरा में शिक्षा शास्त्री हेमंत माहुलीकर, जमनीपाली लाटा क्षेत्र में कश्यप, सीएसईबी कालोनी कोरबा पश्चिम में डा आरसी पांडेय, एनटीपीसी कालोनी में संतोष सिंह ठाकुर, शिवाजी नगर कुसमुंडा गेवरा बस्ती में बुद्धीसागर शाही और बांकी मोंगरा क्षेत्र में आयोजित दशहरा पूजन कार्यक्रम में चिंतामणि कौशिक मुख्य वक्ता थे। अतिथियों ने इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए विजयादशमी उत्सव व संघ के स्थापना दिवस के विषयों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संघ अपनी स्थापना के 95 वर्ष पूरे कर रहा है। वर्ष 1925 को डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार ने सीमित स्वयंसेवकों के साथ नागपुर में संघ की स्थापना की थी। इतने वर्षों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने समाज जीवन को करीब से समझने और लोगों को संगठन की शक्ति से अवगत कराने की कोशिश की है। विपरीत परिस्थितियों में भी संघ की गतिविधियां जारी है। इसके माध्यम से स्वयंसेवकों की ओर से समर्पित होकर कठिन परिस्थितियों में समाज का सहयोग करने का काम किया जा रहा है।

वक्ताओं ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में मौजूद चुनौतियों पर दूसरी बात रखी। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि वर्ष 1857 में अखंड भारत का क्षेत्रफल 83 लाख किलोमीटर हुआ करता था, जो वर्तमान में घटकर 33 लाख किलोमीटर रह गया है। इस तरह पिछले वर्षों में अलग-अलग कारणों से भारत की 50 लाख किलोमीटर भूमि हमसे अलग हो गई। वर्तमान में पश्चिम बंगाल, केरल, असम सहित छह राज्यों में जिस तरह की गतिविधियां और परिस्थितियां कायम है वह काफी खौफनाक है। कार्यक्रम का समापन प्रार्थना के साथ हुआ। अंत में प्रसाद वितरण किया गया।

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