एसईसीएल के गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में कोयला उत्पादन ठप्प रहा

कोरबा । देश व्यापी काम बंद हड़ताल का जिले की खदानों में व्यापक असर देखने को मिला। पहली पाली में बड़ी संख्या में कर्मी ड्यूटी पर नहीं गए। यूनियन नेताओं ने खदानों के बाहर अपनी आवाज बुलंद की। एसईसीएल के गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा एरिया में हड़ताल की जा रही है।संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में मानिकपुर में कार्यरत ठेकेदारी एवं डिपार्टमेंटल कामगारों ने समर्थन देते हुए एकदिवसीय सांकेतिक हड़ताल में अपनी आवाज़ बुलंद की। जिले के एसईसीएल की कोयला खदान में शुक्रवार को देशव्यापी ट्रेड यूनियन हड़ताल देखने को मिला। हड़ताल में शामिल सभी मजदूर यूनियन की ओर से शुक्रवार की सुबह से ही खदान में कोयला उत्पादन प्रभावित करा दिया। जिससे खदान में कामकाज प्रभावित रहा। खदान क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम भी किए गए थे। हड़ताल में शामिल ट्रेड यूनियन ने खदान क्षेत्र में जुलूस निकाला और सरकार के कथित मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ जमकर नारे भी लगाए। यूनियन नेताओं ने कहा कि जिले मे 16 फरवरी के औद्योगिक हड़ताल को कामयाब करने के लिए रणनीति बनाई गई थी द्यजिसके तहत 8 फरवरी को बालको मे एक कन्वेंशन किया गया था, जिसमें कोरबा जिले के सभी श्रम संगठनों के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया था।उसमें हड़ताल करना क्यों आवश्यक है इस पर गहन चर्चा कर रणनीति बनाई गई थी, ताकि औद्योगिक हड़ताल को कोरबा जिले मे कामयाब किया जा सके। उसी प्रकार गेवरा मे 14 फरवरी को कन्वेंशन किया गया था।उन्होंने आगे बताया कि केंद्रीय श्रम संगठनों ने दिल्ली मे संयुक्त कन्वेंशन कर औद्योगिक हड़ताल का ऐलान किया था। श्रम संघों के नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार जो नीतियां बना रही है उसके चलते देश के मेहनतकश संकट का सामना कर रहे हैं। देश के धरोहर सार्वजनिक उपक्रमों को कमजोर किया जा रहा है। इसी तरह देश के मेहनतकश कामगारों के अधिकारों को छीनकर उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं कुछ चुनिंदा उद्योग घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम कानून को कमजोर कर श्रम कोड लाया जा रहा है। इसके साथ ही साथ देश का सब कुछ निजी हाथों में देने की ओर सरकार बढ़ रही है। वहीं देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर है। इसी तरह देश मे शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग सभी निजी हाथों में देने की ओर सरकार बढ़ रही है, जिसका श्रम संगठन विरोध कर रहे हैं। उन्होंने अंत में कहा कि कोरबा जिले मे हड़ताल कामयाब हो उसके लिए संयुक्त रणनीति बनाई गई थी। जिसका असर भी देखने को मिला है।

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