हिन्दू नववर्ष पर हिंदुत्व की लड़ाई! पोस्टरों से पटा शहर.. कुर्सी सरकने का डर..या है कोई और संदेश ?
नवनीत राहुल शुक्ला, कोरबा
कोरबा 21 मार्च। पिछले वर्ष की भांति इस बार भी नगर में हिन्दू नववर्ष, चैत्र नवरात्रि और राम नवमी पूरे उत्साह व हर्षोल्लास से साथ मनाई जावेगी। इसके लिये तैयारियां भी पूरे जोर शोर से जारी है। शहर की मुख्य सड़कों और चौक चौराहों को विभिन्न साज सज्जा और लाइटिंग से सजाया गया है। साथ ही हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य पर विभिन्न संगठनों द्वारा भव्य शोभायात्रा का भी आयोजन किया गया है। ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि आगामी कुछ दिनों तक कोरबा की फिजा भगवामय रहने वाली है।
वहीं चुनावी वर्ष होने के कारण त्योहार में राजनीतिक तड़का भी लग गया है। जिले वासियों को त्योहार की शुभकामनाएँ देने पोस्टर बैनर से पूरा शहर पाट दिया गया। शुभकामना के बैनर पोस्टर तो कोई नई बात नहीं है परंतु जिस प्रकार एक पार्टी के नेता के द्वारा पोस्टर लगवाए गए हैं, वह शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। नेताजी के विरोधी इसे अपनी उपलब्धि मान रहे हैं की उनकी सक्रियता से घबराकर नेताजी को अपना राजनैतिक ट्रैक बदलना पड़ गया है तो नेताजी के चंगू मंगू इसे नेताजी का वर्चस्व बता रहे हैं। दूसरी ओर निष्पक्ष जनता के मन में नेताजी के इस धर्म जागरण के पीछे कोई और संदेश होने का विचार आ रहा है।
इस जंगल में हम दो शेर !
कहा जाए तो हिंदुत्व की विचारधारा और राजनीति पर भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपना एकाधिकार बताया जाता है परंतु जिस प्रकार कोरबा भाजपा के बड़े नेताओं के चेहरे बैनर से गायब है उससे हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और का मुहावरा चरितार्थ होते दिखाई पड़ता है। कांग्रेसी विधायक के द्वारा नव वर्ष पर पूरी लाइम लाइट जिस प्रकार से कब्जा कर ली गई है उससे यह संदेश दिया जाता दिखाई देता है कि मुद्दा कोई भी हो राजनीति के बॉस जिले में वही है। लेकिन विधायक जी के इस पैगाम से कोरबा भाजपा का एक तबका मुखातिब नही है। नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष पार्षद हितानंद अग्रवाल उर्फ हित्तु भैया इस जंगल में हम दो शेर होने का दावा कर रहे हैं।
यूं तो कोरबा में पिछले कुछ दिनों से वातावरण में ठंडक है परंतु हित्तु भैया के समर्थकों की माने तो उनकी सक्रियता से विधायक जी का ठंड में भी पसीना छूट गया है। पिछले 4 वर्षों में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के पश्चात भी जिस प्रकार से कोरबा में विकास का पैमाना डामर से शुरू होकर डामर पर ही खत्म हो रहा है उससे विधायक जी के पैरों तले जमीन खिसक रही है। चाहे नगर पालिक निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा हो , साल दर साल कोरबा की सड़कों पर गुणवत्ताहीन डामर बिछाकर जनता के करोड़ों रुपए पानी में बहाने का मुद्दा हो या नगर में व्याप्त अन्य समस्या, नेता प्रतिपक्ष के मुखर विरोध और आक्रामक तेवर ने जनता का दिल जीत लिया है और जनता ने इस चुनाव में बदलाव का मन बना लिया है। उनका कहना है कि विधायक जी शहर को छोड़ केवल अपने विकास में लगे हुए हैं इसलिए कोरबा से ज्यादा समय बाहर व्यतीत करते हैं। कोरबा की जनता का भी अब उनसे मोह भंग हो चुका है और वह उन्हें भूल चुकी है। पोस्टर और बैनर लगाकर विधायक अपने अस्तित्व का बोध कराने का असफल प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि विधायक जी की कुर्सी के तीन पाए सरक चुके हैं और चौथा चुनाव में जनता सरकाने की तैयारी कर चुकी है।
मामला गड़बड़ है !
बदले मौसम में राजनैतिक अफवाहों की अलाव में हाथ सेकने वालों को कोरबा विधायक के पोस्टरों के पीछे कोई छुपा हुआ संदेश नजर आ रहा है। यह किसी से छुपा नहीं है कि नेताजी का सरकार में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद प्रदेश नेतृत्व से नाता नरम गरम का रहा है। पिछले 4 वर्षों से लगातार विभिन्न मुद्दों को लेकर जिला प्रशासन से उनकी खींचतान समय-समय पर इसकी पुष्टि भी करती रही है। ढाई साल के पश्चात नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चले ड्रामे में दिल्ली दरबार में इनकी गैर हाजिरी भी प्रदेश के मुखिया की नाराजगी का कारण समझी जाती है। कुल मिलाकर कहें तो नेताजी अपनों के मेले में भी अकेले नजर आ रहें हैं।
वहीं कुछ दिनों पूर्व आए अंबिकापुर नरेश के वक्तव्य ने प्रदेश में राजनैतिक सरगर्मी भी तेज कर दी है। जय वीरू के रिश्ते में आई दरार पार्टी रुपी परिवार में बंटवारे की स्थिति लाते दिख रही है। ऐसे माहौल में जिस प्रकार से विधायक महोदय के पोस्टरों से पार्टी के देश- प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की तस्वीरें नदारद है और वह पार्टी की मुख्य लाइन से हटकर अपना सनातनी अवतार दिखा रहे हैं, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह कभी भी राजनैतिक लक्ष्मण रेखा लांघ सकते हैं। भाजपा की बात करें तो पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व अब खोटे सिक्कों पर दाव लगाने के मूड में नहीं है। लोकसभा हो या विधानसभा पार्टी को जीत से अलावा कोई भी नतीजा स्वीकार्य नहीं। कोरबा भाजपा पिछले 15 वर्षों में कोरबा विधायक की काट खोजने में नाकाम तो रही ही है, वर्तमान में भी टिकट के दावेदारों और स्वघोषित नेताओं के द्वारा जो गुटबाजी का कीचड़ फैलाया गया है उसमें कमल खिलता दिखाई नहीं देता है। ऊपर से विधायक जी के तेवर ने टिकट की उम्मीद लगाए भाजपाईयों के कान अलग खड़े कर दिए हैं।
बहरहाल मामला जो भी हो एक बात तो तय है की यह नववर्ष कोरबा की राजनीति में नया मोड़ जरूर ले आया है। अब इस पूरे एपिसोड के पीछे डर है या कोई राजनैतिक ट्विस्ट यह तो वक्त ही बताएगा।
न्यूज एक्शन की ओर से समस्त सनातनियों को हिन्दू नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।