राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता में कद्दावर नेताओं की अनदेखी चर्चा में

विधानसभा अध्यक्ष, प्रभारीमंत्री और सांसद से दूरी आई चर्चा में

कोरबा 7 नवम्बर। 21वीं राज्य स्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता 2021-22 के आयोजन में जिले के प्रभारी मंत्री और सांसद की अनदेखी का मामला सामने आया है।

जिला मुख्यालय कोरबा में 7 नवम्बर से 10 नवम्बर 2021 तक चार दिनी राज्य स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। रविवार की सुबह इसका शुभारंभ कोरबा विधायक एवं राजस्व मंत्री के मुख्य आतिथ्य में किया गया। कार्यक्रम में कोरबा जिले के प्रभारी मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह और कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत को कोई स्थान नहीं दिया गया। कार्यक्रम के उदघाटन समारोह के अध्यक्ष कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर बनाये गए, जबकि विधायक मोहितराम केरकेट्टा पाली तानाखार और ननकीराम कंवर रामपुर, नगर निगम महापौर राजकिशोर प्रसाद, नगर निगम सभापति श्यामसुंदर सोनी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती शिवकला कंवर और जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती रीना अजय जायसवाल विशिष्ठ अतिथि बनाये गए थे। इसी तरह समापन समारोह में भी यही नेता यथावत रूप से इसी क्रम में अतिथि बनाये गए हैं। हैरत की बात है कि राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के आयोजन में प्रभारी मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह और क्षेत्रीय सांसद श्रीमती ज्योत्स्ना महंत की अनदेखी कर दी गई।

इतना ही नहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत को भी आयोजन में बतौर अतिथि याद नहीं किया गया। जबकि डॉ महंत कोरबा लोकसभा क्षेत्र के प्रथम सांसद होने के साथ ही जिला कांग्रेस के साथ साथ जिले के संरक्षक के रूप में 25 वर्षों से भी अधिक समय से अपनी विशिष्ठ पहचान रखते हैं। अब वे विधानसभा के अध्यक्ष हैं और उनकी उपस्थिति से न केवल कार्यक्रम बल्कि जिले का भी गौरव समान रूप से बढ़ता है। मगर उनसे भी दूरी बना ली गई। पता नहीं क्यों इन तीन महत्वपूर्ण नेताओं को क्रीड़ा प्रतियोगिता में नजर अंदाज कर दिया गया?

सूत्रों के अनुसार उदघाटन समारोह में कार्यक्रम के अध्यक्ष विधायक पुरुषोत्तम कंवर और विशिष्ठ अतिथि विधायक मोहितराम केरकेट्टा शामिल नहीं हुए। बताया जाता है कि विधानसभा अध्यक्ष, प्रभारी मंत्री और सांसद की अनदेखी के कारण इन दोनों कांग्रेस विधायकों ने आयोजन से ही किनाराकशी की है। यहां लाख टके का सवाल यह है कि जिले के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण उक्त तीन कद्दावर नेताओं की अनदेखी क्यों की गई? इसके कोई राजनीतिक मायने तो नहीं हैं? इस अनदेखी के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इस बड़ी वाकये को संज्ञान में लिया जा रहा है? और क्या इस मामले में जिम्मेदारी तय की जाकर कोई कार्रवाई की जाएगी? बहरहाल यह मामला रविवार को राजनीतिक हल्के में चर्चा का विषय बना रहा ।

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