वेज रिवीजन को लेकर कल होगी सुनवाई, बालको सीईओ तलब
न्यूज एक् शन। बालको वेदांता प्रबंधन के द्वारा कर्मचारियों का लंबित वेतन समझौते में एक तरफा निर्णय लेते हुए अधिनियमों के विपरीत जाकर कुछ विवादित यूनियनों की कमेटी गठित कर किये गए श्रमिक विरोधी समझौते पर अविलम्ब रोक लगाने की मांग कर की गई शिकायत पर संज्ञान लिया गया है।
श्रमिक नेता बालको ऐक्टू के जिलाध्यक्ष बीएल नेताम ने बताया कि विवादग्रस्त 10 वें समझौते पर रोक लगाए जाने के संबंध में संबंधित को निर्देश जारी करने के संदर्भ में चार श्रमिक संगठन बालको कर्मचारी संघ (बीएमएस), एल्युमिनियम एम्प्लाइज यूनियन (एटक), भारत अल्युमिनियम एम्प्लाइज यूनियन (सीटू) एवं अल्युमिनियम कामगार संघ (ऐक्टू) के द्वारा 22 अप्रेल 2019 को मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, श्रम सचिव व पंजीयक व्यवसायिक संघ छ.ग. शासन सहित सहायक श्रम आयुक्त को कड़ा आपत्ति पत्र लिखा गया था। प्रेषित पत्र के मद्देनजर बालको सीईओ को 3 मई को सहायक श्रमायुक्त कार्यालय, कोरबा में सुनवाई हेतु तलब किया गया है। श्री नेताम ने कहा है कि सस्ता मैनपावर और अकूत मुनाफा से आच्छादित अपने अच्छे दिनों को और ज्यादा अच्छी तरह से महफूज़ कर लेने को आतुर वेदांता प्रबंधन कुछ स्वार्थी यूनियन नेताओं की मदद से श्रमिकों की सेवा शर्तो, उचित पारिश्रमिक/वेतनमान का निर्धारण व अधिकतम रोजगार के अवसरों की कानूनी प्रावधानों को 9 वें वेतन समझौते की तरह ही 10 वें वेतन समझौते में भी कूटरचना करके समाप्त कर देने को तत्पर है। वेदांता प्रबंधन के श्रमिक विरोधी मंसूबों को किसी तरह से भी कामयाब होने नहीं दिया जायेगा। उन्होंने कहा है कि वेदांता प्रबंधन को अब कर्मचारियों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण व बुनियादी सुविधाओं से कोई सरोकार नहीं रह गया है। उसे अब बालको कम्पनी के स्थापना दिवस मनाने, सेवा निवृत्त कर्मचारियों को सम्मान के साथ विदाई देने,स्थानीय बेरोजगारों को नौकरी/रोजगार देने के बारे में विचार करने के लिए भी फुर्सत नहीं है। यहां तक कि सीएसआर मद से आसपास की बस्तियों-ग्रामों का अनिवार्य विकास भी अब ठप्प हो चला है, पुराने कर्मचारियों पर छटनी की तलवार अब लगातार लटकने लगी है।
3 मई को दोपहर 3 बजे सहायक श्रमायुक्त कार्यालय पहुंचने का श्रमिकों से आव्हान किया गया है। यह भी कहा है कि वेदांता प्रबंधन के द्वारा पूर्व की तरह कपटपूर्वक समझौते के नाम पर बैंक अकाउंट में कुछ रुपये डाले जाने के बाद भी विवादित समझौते के प्रति अपना पूर्ण विरोध और संघर्ष जारी रखें।