डीजे और साउंड बॉक्स के शोर पर रोक नहीं लग पा रही, सरकार शपथ पत्र दे

बिलासपुर। डीजे और साउंड बॉक्स के शोर से आम लोगों को होने वाली परेशानियों को लेकर जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। हस्तक्षेप याचिकाकर्ता की और से प्रदेश में कार्रवाई को लचर बताते हुए कहा कि केंद्र के नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं की जा रही है, इससे डीजे के शोर पर रोक नहीं लग पा रही। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने शासन को शपथपत्र में यह बताने को कहा कि ऐसी स्थिति में ध्वनि प्रदूषण कैसे रोकेंगे।

सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में लगातार कार्रवाई हो रही है। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र के नियमों के अनुसार कार्रवाई नहीं की जा रही। प्रदेश के कोलाहल अधिनियम में इतने कड़े प्रावधान है ही नहीं। हजार-पांच सौ साशा पेनाल्टी लगाकर छोड़ दिया जाता है। ना सामान की जब्ती होती है और ना ही कोई कड़े नियम बनाएं गए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में शपथपत्र के साथ जवाय प्रस्तुत करने कहा है।

लेजर और बीम लाइट के नुकसान पर भी जताई गई चिंता

उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान डीजे के साथ लेज़र और बीम लाइट से होने वाली परेशानियों पर चिंता जताई गई। कोर्ट ने कहा कि डीजे से हार्ट को और लेजर लाइट से लोगों की आंखों को खतरा है। इसे रोकने के लिए राज्य सरकार को प्रयास करने चाहिए। कोर्ट में दो हस्तक्षेप आवेदन भी प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें आपात नंबर 112 पर सूचना दिए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने की जानकारी दी गई। सरकार की ओर से कहा गया कि डीजे और अन्य वाहन माउंटेड साउंड सिस्टम में लेजर लाइट पर पहले से ही रोक है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत बने नियमों का उल्लंघन करने पर पांच साल की सजा या एक लाख रुपए का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। अगर नियमों का उल्लंघन जारी रहता है तो प्रतिदिन 5000 रुपए का फाइन और लगाया जा सकता है।

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