ओवरब्रिज पर निर्णय नहीं बदला, नाराज यूनियनों का आंदोलन शुरू

कोरबा 16 दिसम्बर। एसईसीएल के गेवरा क्षेत्रांतर्गत एमडी कॉलोनी आवासीय परिसर के समीप निर्माणाधीन रेलवे लाइन ओव्हरब्रिज के निर्माण के खिलाफ संयुक्त केन्द्रीय श्रमिक संगठनों की नाराजगी बढ़ गई है। अपने पूर्व निर्णय के तहत यूनियनों ने आज से धरना के साथ क्रमिक आंदोलन की शुरुआत की। इससे पहले उन्होंने गेवरा महाप्रबंधक से कहा था कि काम को रोकें। प्रबंधन ने इसे बहुत हल्के से लिया।

ओवरब्रिज की जगह बदले जाने की मांग को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन एचएमएस, एटक, इंटक, बीएमएस, सीटू पहले से विरोध दर्ज करता रहा है। उसने कहा था कि व्यापक जनहित से यह विषय जुड़ा हुआ है इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रबंधन को इसके लिए समय दिया गया। सबकुछ होने पर भी न तो नीति बदली गई और न ही फैसला। इसलिए यूनियनों ने इस मामले में अपनी एकता दिखाते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। यूनियन चाहती है कि यहां पर प्रस्तावित दो ओव्हरब्रिज का स्थान बदलकर समुचित समाधान निकाला जाए, जिससे आवासीय क्षेत्र की समस्याओं का हल हो सके।

इस मामले में विरोध करने वाले केंद्रीय संयुक्त संगठनों का दावा है कि अगर एसईसीएल प्रबंधन किसी को उपकृत करने के लिए अगर अपने फंड का गलत तरीके से इस्तेमाल करता है तो यह अलग विषय है लेकिन इतना सबकुछ करने पर भी समस्याएं बनी रहेंगीं। उनका कहना है कि ओव्हरब्रिज से आवासीय क्षेत्र में धूल प्रदूषण और दुर्घटनाओं की संभावना हमेशा बनी रहेगी। छात्र-छात्राओं समेत आम नागरिकों को भी परेशानी झेलनी पड़ेगी। प्रबंधन को याद दिलाया गया कि पूर्व में दीपका कॉलोनी से प्रगतिनगर को सुविधा देने के लिए गलत योजना, प्रस्ताव और डिजाइन से 3 करोड़ खर्च कर फुट ओव्हरब्रिज तैयार किया गया, जो सफेद हाथी साबित हुआ। इसलिए अब इसे तोडना पड़ा है।

क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाने के साथ कहा है कि क्या पुराने गैर जरूरी फुट ओवरब्रिज को स्वीकृत करने और सरकारी पैसा को बर्बाद करने वाले अधिकारियों से इसकी रिकव्हरी की भी जाएगी? कहा गया है कि जब ऐसे काम का औचित्य ही नहीं था तो आखिर किसलिए यह काम कराया गया और बड़ी राशि का भुगतान ठेकेदार को किया गया। बताया जा रहा है कि अब यह मामला प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ-साथ कोल मंत्रालय व कोल इंडिया तर्क पहुंचाने की तैयारी की जा रही है।

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