तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई के आदेश पर उच्च न्यायालय ने लगाई मुहर

मामले में ठेकेदार की कार्यशैली नटवरलाल के समान

कोरबा 01 दिसंबर। कोरबा के बहु चर्चित मल्टी लेवल पार्किंग निर्माण के मामले में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने नगर निगम कोरबा के द्वारा लापरवाह ठेकेदार फर्म का ठेका निरस्त करने तथा उसकी अमानत राशि समेत एसडी, पीजी की राशि को राजसात करने व फर्म को ब्लैकलिस्ट करने की कार्यवाही को सही ठहराते हुए उक्त आदेश को निरस्त करने की याचिका को खारिज कर दिया है। अपने आदेश में माननीय न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि ठेकेदार को कार्रवाई के पूर्व कोरबा निगम द्वारा पर्याप्त अवसर प्रदान किया गया था परंतु ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करने में रुचि नहीं दिखाई गई। जिसके फलस्वरुप नगर निगम कोरबा द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र अंतर्गत ठेकेदार पर अनुबंध शर्तों के अनुसार कार्यवाही की गई है, जिसमे न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता नही है।

बता दें की नगर निगम कोरबा की पूर्व आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई के द्वारा बार बार नोटिस देने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नही करने पर 22 जुलाई 2024 को ठेकेदार फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी का ठेका निरस्त कर कंपनी द्वारा निगम में जमा की गई अमानत राशि समेत एसडी, पीजी की राशि को राजसात कर दिया गया था तथा ठेकेदार फर्म को 1 साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।

क्या है मामला

वर्ष 2017 में कोरबा नगर के हृदय स्थल सोनालिया चौक के पास 15 करोड़ की लागत से मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण कार्य नगर निगम कोरबा द्वारा कराया जा रहा था। निर्माण कार्य का वर्कऑर्डर 12.09.2017 को हुआ जिसे 11.01.2019 को पूर्ण होने था। परंतु उक्त कार्य ठेकेदार की लापरवाही और प्रशासनिक भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और आज दिनाँक तक पूर्ण नही हो पाया है। ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य अधूरा छोड़ 2019 में ही काम बंद कर दिया गया था परंतु निगम तथा जिला प्रशासन द्वारा 2019 से 2024 तक ठेकेदार पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई और न ही प्रोजेक्ट पूर्ण करने पर ध्यान दिया गया। उल्टा नेताओं की छवि चमकाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा नित नई घोषणाएं की जाती रही। कभी पार्किंग में अस्पताल खोलने की बात हुई तो कभी व्यावसायिक काम्प्लेक्स। अंततः प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई के द्वारा ठेकेदार पर कार्यवाही की गई जिसे ठेकेदार ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई ने दिनाँक 22.07.2024 को निर्माण कार्य के ठेकेदार फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी का ठेका निरस्त करते हुए उसके द्वारा जमा की गई अमानत राशि और किए गए कार्य के भुगतान में से काटी गई सुरक्षा निधि तथा परफॉर्मेंस की राशि को राजसात करते हुए कंपनी को 1 साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था। ठेकेदार द्वारा इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। न्यायालय द्वारा ठेकेदार की याचिका में सुनवाई करते हुए पहले निर्माण कार्य को लेकर बरती जा रही प्रशासनिक लापरवाही पर जमकर नाराजगी जताई गई। परंतु जैसे ही मामले में शासन द्वारा अपना पक्ष रखते हुए दस्तावेज पेश किए गए, बाजी पलट गई और ठेकेदार अपने ही बनाए मकड़जाल में फंस गया।

अपने बचाव में ठेकेदार ने कहा कि उसके द्वारा 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया था परंतु कोविड लॉकडाउन के कारण कार्य समय पर पूर्ण नही हो सका। लॉकडाउन के दौरान जिला व निगम प्रशासन द्वारा पार्किंग में अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया जिसके लिए कार्य के ड्राइंग डिजाइन में बदलाव की बात कही गई। कोविड पश्चात डेढ़ वर्ष तक किसी प्रकार का निर्णय नहीं होने के कारण ठेकेदार ने 18 जनवरी 2021 को तत्कालीन निगम आयुक्त को पत्र लिख यह बताया था कि 18 माह से काम बंद होने के कारण उसके द्वारा निर्माण कार्य अब पूर्ण किया जाना संभव नहीं होगा। ठेकेदार ने आरोप लगाया कि उसके कई बार पत्राचार करने पर भी निगम प्रशासन द्वारा उसके पत्रों का जवाब नहीं दिया गया और अचानक दिनाँक 27.05.2024 को तत्कालीन निगम आयुक्त के द्वारा नोटिस जारी कर कार्य पूर्ण करने कहा जाने लगा। उसके द्वारा 2017 के रेट को बदलकर नये दर पर कार्य करने की बात को अनसुनी करते हुए निगम द्वारा एक तरफा कार्रवाई करते हुए उसका एग्रीमेंट निरस्त कर दिया गया तथा फर्म को ब्लैक लिस्ट करते हुए लगभग 3 करोड़ की राशी राजसात कर ली गई।

वही निगम ने अपने बचाव में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि उक्त निर्माण कार्य का कार्यादेश 12.09.2017 को हुआ था जिसे 11.01.2019 में पूर्ण होना था परंतु ठेकेदार द्वारा निर्धारित समय सीमा में कार्य पूर्ण नहीं किया गया। ठेकेदार द्वारा 08.05.2019 को पत्र लिखकर कार्य पूर्ण करने हेतु 30.09.2019 तक का समय प्रदान करने का निवेदन किया गया था जिस पर निगम प्रशासन द्वारा बिना किसी पेनल्टी के ठेकेदार को 30.09.2019 तक का समय प्रदान किया गया था। निगम द्वारा समय अवधि बढ़ाने के पश्चात भी ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण करने में रुचि नहीं दिखाई जा रही थी। इस बिच उसे दिनाँक 18.06.2019 को निगम द्वारा ₹50 लाख का भुगतान भी किया गया था जिसके पश्चात भी ठेकेदार द्वारा कार्य बंद रखा गया था। निगम द्वारा समय सीमा समाप्त होने के पूर्व निर्माण कार्य नहीं करने पर ठेकेदार को दिनाँक 29.06.2019 व 14.08.2019 को नोटिस जारी कर कार्य पूर्ण करने निर्देशित किया गया था। परंतु ठेकेदार द्वारा 30.09 2019 तक भी निर्माण कार्य पूर्ण नही किया गया।

आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई ने सिखाया सबक

2019 से 2024 तक निगम तथा जिला प्रशासन द्वारा ठेकेदार पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई। वहीं प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के पश्चात तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई ने कार्य को पूर्ण करने में रुचि ली और ठेकेदार को नोटिस जारी किया। न्यायालय में निगम ने बताया कि ठेकेदार को 19.04.2024, 27.05.2024 व 05.07.2024 को नोटिस जारी कर तत्काल कार्य प्रारंभ कर उसे पूर्ण करने निर्देशित किया गया था साथ ही कार्य शुरू नहीं करने पर उसके विरुद्ध ब्लैक लिस्टिंग तथा राशि राजसात करने की कार्रवाई का भी वर्णन नोटिस में किया गया था। नोटिस प्राप्ति के पश्चात भी ठेकेदार द्वारा कार्य शुरू नहीं किया गया व कार्य पूर्ण करने के लिए नई शर्तें निगम प्रशासन के सामने रख दी गई जिस पर कार्यवाही करते हुए आयुक्त प्रतिष्ठा ममगई ने 22.07.2024 को फर्म का ठेका निरस्त करते हुए ठेकेदार द्वारा जमा की गई अमानत राशी तथा निगम द्वारा ठेकेदार को किए गए भुगतानों में से काटी गई सुरक्षा निधि तथा परफॉर्मेंस की राशि को राजसात करते हुए ठेकेदार को एक वर्ष के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया।

ठेकेदार की कार्यशैली नटवरलाल जैसी

इस पूरे मामले में ठेकेदार की कार्यशैली नटवरलाल के समान प्रतीत होती है। न्यूज एक्शन ने पूर्व में प्रकाशित खबरों में बताया था कैसे ठेकेदार के द्वारा 2019 में कार्य अधूरा छोड़ दिया गया था तथा तब निर्माण कार्य देख रहे निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से साँठ गाँठ कर बचत राशि को गबन करने का षड्यंत्र किया जा रहा था। इसके अलावा न्यूज़ एक्शन की पड़ताल में ठेकेदार द्वारा अन्य कार्यों में भी अनियमिततायें किये जाने की बात सामने आई थी। वहीं प्रकरण की सुनवाई में भी ठेकेदार द्वारा तथ्यों को छुपा कर न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया गया परंतु उसका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया और दस्तावेजी साक्ष्य के समक्ष ठेकेदार के अधिवक्ता की दलीलें धरी की धरी रह गईं।

प्रकरण की सुनवाई में माननीय न्यायालय के समक्ष निगम के अधिवक्ता द्वारा यह तथ्य भी लाया गया कि ठेकेदार द्वारा अपनी याचिका में ठेका निरस्त करने की कार्रवाई को चुनौती नहीं दी गई है और केवल राजसात की गई राशी और ब्लैक लिस्टिंग हटाने का निवेदन किया जा रहा है। न्यायालय ने भी माना कि ठेकेदार द्वारा ठेका निरस्त करने की कार्रवाई को चुनौती नहीं देना उसके द्वारा कार्य को पूर्ण करने की रुचि नहीं रखना दर्शाता है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा की समस्त दस्तावेजों को देखकर यह स्पष्ट है कि नगर निगम कोरबा द्वारा ठेकेदार को पर्याप्त अवसर प्रदान किए गए थे साथ ही कार्य पूर्ण नहीं करने पर की जाने वाली कार्रवाई से अवगत भी कराया गया था। जिसके पश्चात भी ठेकेदार द्वारा अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन नहीं किया गया और उसके पत्राचार से स्पष्ट था कि वह 2017 की दर पर कार्य पूर्ण करने का इच्छुक नहीं था और 75% कार्य करके ही अनुबंध को समाप्त करना चाहता था। अतः निगम द्वारा पारित आदेश किसी प्रकार के द्वेष व पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना प्रतीत होने पर उच्च न्यायालय द्वारा उक्त आदेश में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करने का निर्णय देते हुए ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज कर दिया गया।

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