देवउठनी एकादशी पर्व कलः होगा तुलसी-शालीग्राम का विवाह
बाजार में पहुंची पूजन सामाग्री, शुरू होंगे मांगलिक कार्य
कोरबा 11 नवम्बर। प्रबोधनी देवउठनी एकादशी को लेकर नगर और अंचल में उत्साह साफ नजर आ रहा है। मंगलवार को रात्रि शुभ मुहूर्त में तुलसी और शालीग्राम के विवाह की परंपरा पौराणिक मान्यताओं के साथ निभाई जाएगी। पर्व के लिए स्थानीय बाजार में पूजन सामाग्री की खेप पहुंच गई है।
देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु लंबे समय के लिए शयनकाल में पहुंच गए थे और तब से विवाह सहित अन्य मंगल कार्यों पर सैद्धांतिक रूप से निषेध लगा हुआ था। देवउठनी एकादशी को लेकर मान्यता है कि भगवान इस दिन जागृत अवस्था में आते हैं और इस अवसर तुलसी और शालीग्राम का विवाह संपन्न होने के साथ मांगलिक कार्यों की औपचारिक शुरूआत होती है। देवउठनी एकादशी का पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। इसके लिए कोरबा नगर के साथ उपनगरीय क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में तैयारी हो रही है। कवर्धा, अंबिकापुर और जांजगीर क्षेत्र से गन्ना के अलावा शकरकंद, गेंदा फूल और अन्य पूजा की सामाग्री यहां पहुंच गई है। आसपास इसकी दुकानें लगी हुई है जहां से लोग अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने खरीदी में जुटे हैं। इस बार भी विपणन संबंधी कारणों से खासतौर पर गन्ना की दरों में कुछ बढ़ोत्तरी हुई है।
कार्तिक शुक्ल एकादशी देवउठनी एकादशी व्रत के लिए 12 नवंबर का समय अधिसूचित किया गया है। पंडित हेमंत शुक्ला ने बताया कि पूजन का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर मंगलवार को सायं 7.8 बजे से रात्रि 8.46 बजे तक है। इसे अभिजीत मुहूर्त कहा गया है और इस दौरान देवउठनी एकादशी पर तुलसी-शालीग्राम विवाह की प्रक्रिया पूरी की जानी अत्यंत शुभकारी और परिणामकारी होगी। व्रत के पारण का समय 13 नवंबर को प्रातः 6.42 बजे से 8.51 मिनट के मध्य निश्चित है। पं. शुक्ला ने बताया कि व्रतियों को इस अवसर पर गौ माता को आहार देने के साथ यथाशक्ति मंदिर में दान करना चाहिए। एकादशी के साथ जो मान्यताएं जुड़ी हुई है वे जातक को सार्वजनिक जीवन से संबंधित कई प्रकार की कठिनाईयों को हल करने के लिए सहायक साबित होती है।